नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के तेवर आजकल कुछ ज्यादा ही तीखे दिख रहे हैं. उन्होंने दो दिन पहले चेतावनी दी कि अगर कश्मीर को आर्टिकल 35 ए के तहत मिला विशेषाधिकार खत्म हुआ, तो कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं मिलेगा. महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान के साथ व्यापार खत्म करने के भी खिलाफ हैं, जबकि आतंकवादियों की फंडिंग के लिए पाकिस्तान एलओसी पर बने ट्रेड सेंटर का इस्तेमाल कर रहा है. ये बात अब जाहिर हो चुकी है.
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की सोच नहीं मिलती, फिर भी कश्मीर के हित के नाम पर दोनों पार्टियों ने सरकार बनाई थी. बीजेपी ने पीडीपी की राजनीतिक मजबूरियों को देखते हुए आर्टिकल 370 को ठंडे बस्ते में डाल दिया, लेकिन महबूबा मुफ्ती अपनी सोच बदलने को तैयार नहीं दिख रहीं.
केंद्र सरकार इन दिनों आतंकियों की फंडिंग और अलगाववादियों के हवाला नेटवर्क को खत्म करने में जुटी है. 7 अलगाववादियों की गिरफ्तारी के बाद कश्मीर में आतंकियों को सांप सूंघ गया है. ऐसे में महबूबा मुफ्ती ने आर्टिकल 35 ए के बहाने वही जुबान बोलनी शुरू कर दी है, जो अब तक अलगाववादी बोला करते थे.
आर्टिकल 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को 14 मई 1954 से विशेष नागरिकता, जम्मू-कश्मीर में प्रॉपर्टी और नौकरी को लेकर विशेष अधिकार मिले हुए हैं. इस आर्टिकल को वी द सिटिजन्स नाम के एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. अब महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी दी है कि अगर आर्टिकल 35 ए को खत्म किया गया, तो कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा.
आर्टिकल 35 ए पर महबूबा का बयान बीजेपी को बिल्कुल पसंद नहीं आया है. अभी बीजेपी इस पर नाराजगी जता ही रही थी कि महबूबा मुफ्ती ने सीमा पार से चल रहे व्यापार के मामले में भी बीजेपी के खिलाफ स्टैंड ले लिया. आतंकियों की फंडिंग की जांच कर रही एनआईए ने क्रॉस बॉर्डर ट्रेड यानी एलओसी के रास्ते हो रहे कारोबार को बंद करने की सिफारिश की है. इसका भी महबूबा मुफ्ती ने कड़ा विरोध किया है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर और जम्मू-कश्मीर के लोगों को बीच कारोबारी और जज्बाती रिश्तों को बढ़ाने की ज़रूरत है. महबूबा के इन बयानों से कश्मीर की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है.
आखिर महबूबा मुफ्ती अलगाववादियों की भाषा क्यों बोल रही हैं ? क्या विशेषाधिकार के नाम पर गद्दारों को छूट देने से कश्मीरियत बच जाएगी, आज इन्हीं सवालों पर होगी महाबहस.
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