अब बिना सेना के पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत ने तैयार किया ये ब्रम्हास्त्र

नई दिल्ली: युद्द के मैदान में हिन्दुस्तान की सेना को एक और ब्रम्हास्त्र मिलने जा रहा है. ये मोदी का ऐसा ब्रम्हास्त्र है जो सेना की ताकत को कई गुना बढा देगा. ये ऐसा ब्रम्हास्त्र है जो दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारने की क्षमता रखता है. मानव रहित रिमोट से चलने वाला ये ब्रम्हास्त्र कैसे दुश्मन के खेमें में खलबली मचाएगा. इसका नाम मुंत्रा है.
डोकलाम में चीन की सेना का युद्दाभ्यास और इस युद्दाभ्यास में दौड़ते टैंक मुंत्रा के सामने पानी भरते नजर आएगे. त्राल में पहाडियो की गुफा के अंदर छिपे बैठे इन आतंकियो को मार गिराने में छह घंटे का वक्त लगा था हिन्दुस्तानी सेना के जवानों को हर कदम पर भारी रिस्क थी. ऑपरेशन के दौरान सेना के जवानों की जान भी जा सकती थी लेकिन मुंत्रा ऐसे ऑपरेशन को मिनट भर मं खत्म करके वापस चला आएगा.
छत्तीसगढ के सुकमा में नक्सलियों की गोलियों का शिकार होने वाले सेना के जवानों को अब मुंत्रा इतनी ताकत देगा कि जवान 15 किलोमीटर दूर से ही नक्सलियों को मार गिराएंगा. आम बैटल टैंक की तरह दिखाई देने वाला इस टैंक की सबसे खास बात और ताकत ये है कि ये मानव रहित टैंक है यानि इस टैंक में कोई सैनिक नहीं होगा जिसकी जान का खतरा हो.
मानवरहित टैंक मुंत्रा दुश्मन की मांद में घुसकर दुश्मन की मौत का इंतजाम कर देगा. मानवरहित मुंत्रा को हमारी सेना दुश्मन से 15 किलोमीटर दूर बैठकर रिमोट से चलाएंगी. मुंत्रा देश का पहला मानवरहित ग्राउंड व्हीकल है. जिसे मानवरहित स्रविलांस के लिए बनाया गया है.
इसके अलावा मुंत्रा सुरंगों का पता लगाने में भी इस्तेमाल किया जाएगा इसके अलावा मुंत्रा उन इलाकों के लिए बनाया गया है जहां न्यूक्लियर रेडिएशन या जैविक हथियारों का खतरा हो. मुंत्रा हमारी सेना में जिस दिन शामिल होगा उस दिन सेना की ताकत में बड़ा इजाफा होना तय है.
दरअसल मानवरहित मुंत्रा को हिन्दुस्तान में ही तैयार किया गया है. डीआरडीओं में तैयार इस मानवरहित टैंक की सारी टेस्टिंग हो चुकी है. सेना की ताकत को बढाने के लिए डीआरडीओं ने इसके तीन वर्जन तैयार किए हैं. सेना के लिए बनाए गए इस कॉबेट व्हीकल की खासियत की वजह से अर्धसैनिक बल भी इसको अपने बेडे में शामिल करने की रुचि दिखा रहे हैं.
खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों को ये मानवरहित टैंक ज्यादा कारगर नजर आ रहे हैं, हालांकि इसके लिए इन टैंकों में कुछ संशोधन करने की जरुरत होगी. डीआरडीओं ने इस टैंक के तीन मॉडल्स विकसित किए हैं.
मानवरहित ग्राउंड वीइकल है जिसे मानवरहित सर्विलांस के लिए बनाया गया है. मानवरहित ग्राउंड वीइकल जिसे सुरंगों का पता लगाने के लिए बनाया गया है. इसको उन इलाकों के लिए बनाया गया है जहां न्यूक्लियर रेडिएशन या जैविक हथियारों का खतरा हो.
(वीडियो में देखें पूरा शो)
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