नई दिल्ली: बिहार की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इमेज क्लीन है औऱ वे इसको लेकर सतर्क रहते हैं ये बात ठीक है. बिहार में सबसे अच्छा विकल्प वे हैं, इसपर भी कोई सवाल नहीं हो सकता. लेकिन नैतिकता का तकाजा ये था कि जनादेश फिर से लिया जाता. नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपने बीजेपी छोड़ी औऱ नरेंद्र मोदी के लिये ही लालू को किनारे कर दिया. जबकि आपको जनता ने एनडीए का खिलाफ चुना था.
यानी जनादेश एक औऱ सरकारें दो. जो कल साथ था वो बाजू चला गया और जो बाजू था वो साथ आ गया. खेल सिर्फ मुद्दों की ही तो खेला गया. सेक्यूलरिज्म को हटाकर करप्शन को रख दिया गया. बिसात पर बाजी बदल गई. नीतीश कुमार से पूछने वाले यह भी पूछ सकते हैं कि आज करप्शन बड़ा मामला हो गया तो कल क्यों नहीं था.
जिस लालू प्रसाद के साथ आप चुनाव लड़े वो सजायाफ्ता थे, घोषित मुजरिम. लेकिन तब मोदी के खिलाफ चुनाव जीतना था इसलिए उस समय सेक्यूलर फोर्स को लामबंद करना जरुरी था. अब मोदी के साथ जाना है तो करप्शन को उछालना जरुरी है.
अर्से बाद इस देश की राजनीति परिवर्तन के बड़े दौर से गुजर रही है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने मंडल और सामाजिक न्याय के जयाकारे लगा लगा बार बार सत्ता पानेवाली पार्टियों को कायदे से पलीता लगाना शुरु कर दिया है. दरअसल इन दलों ने गरीब गुरबों के नाम पर अपना औऱ अपनों का बनाने का लंबा खेल खेला है.
दूसरी तरफ मोदी सरकार बार बार ये खम ठोकती है कि तीन साल से शासन में करप्शन का एक मामला आप सरकार के खिलाफ नहीं बता सकते. मोदी बार बार जनता को बताते हैं कि कैसे बाकी दलों ने लूटा और कैसे वो देश का सारा पैसा वो देश की तिजोरी में ला देंगे.
मोदी का करप्शन के खिलाफ कैंपेन देश को लोगों को ज्यादा भा रहा है, लिहाजा जमीन पर क्या हुआ और क्या नहीं हुआ इसको लेकर जनता उतने सवाल नहीं करती बल्कि उसको लगता है कि देश को लूटनेवालों को मोदी सबक तो सिखा रहे हैं ना. यही बात शायद मोदी लोगों के अंदर पैदा करना और जिंदा रखना चाहते हैं. नतीजा ये है कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी इसका असर दिखने लगा है.
करप्शन के मामले में नवाज शरीफ को सुप्रीम कोर्ट ने पीएम की कुर्सी से उतार दिया और हमेशा के लिये राजनीति से बदखल कर दिया. पाकिस्तान की जनता जश्न मना रही है. पाकिस्तान में भी करप्शन को लोगों ने स्वीकार कर लिया था लेकिन पिछले कुछ समय से वहां भी लोगों के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल बन रहा है और इसमें वहां के मीडिया का रोल भी है जो बार बार मोदी की तरफ इशारा करता है.
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