नई दिल्ली: सावन के इस शुभ अवसर पर हम आपको एक ऐसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. ये मंदिर भारत का एक अजूबा मंदिर है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में एक बार भगवान शिव के दर्शन से काल सर्प दोष मिट जाता है.
उस मंदिर में है भगवान शिव की चमत्कारी प्रतिमा उस प्रतिमा के दर्शन से ही दूर हो जाते हैं हर दुख कुंडली के दोषों का नाश करती है. उस प्रतिमा के दर्शन बेहद दुर्लभ हैं. क्योंकि साल मे सिर्फ एक बार खुलता है. इस मंदिर में वो साल भर जहरीले नागों का पहरा रहता है सिर्फ नागपंचमी पर ही खुलते हैं मंदिर के द्वार.
स्पेशल करस्पांडेंट में आज हम बताएंगे सिर्फ नागपंचमी मे खुलने वाले उस अदभुत मंदिर के चमत्कार की कहानी. आज होगा मंदिर के बंद दरवाजे के पीछे छिपे उस राज का खुलासा जो आज तक सामने नहीं आया. भगवान शिव का एक अदभुत रुप हैं . नागचंद्रेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में विराजे हैं नागचंद्रेश्वर जिनके दर्शन के लिए हर साल नागपंचमी पर सजता है भक्तों का मेला लग जाता है.
बता दे कि भक्त हजारों की तादात में भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए उज्जैन पंहुचते हैं. उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी है और बाबा महाकाल के ही मंदिर में ही विराजे हैं नागचंद्रेश्वर. नागचंद्रेश्वर मंदिर पूरे साल बंद रहता है ये सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खुलता है और इसीलिए यहां दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती है.
नागचंद्रेश्वर मंदिर की खास बात ये है कि यहां भगवान शिव शेषनाग की सैय्या पर विराजे हैं, साथ मं माता पार्वती और भगवान गणेश और कार्तिक भी हैं. बताया जाता है कि भगवान शिव की ये अदभुत और विलक्षण प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था. आस्था के इस मेले के लिए प्रशासन की ओर से भी खासे इंतजाम किए जाते हैं, किसी को कोई तकलीफ ना हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है.
ऐसी मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन मात्र से ही काल सर्प दोष का निवारण हो जाता है. भगवान नागचंद्रेशवर के पूजन और दर्शन से सर्प भय से भी मुक्ति मिलती है. इसलिए नागपंचमी पर जब ये मंदिर सिर्फ एक दिनों के लिए खुलता है जो यहां भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है.
उज्जैन में विराजे बाबा महाकाल भगवान शिव के 12 ज्योतिरलिंगों में से एक हैं. भगवान भोलनेनाथ के सभी ज्योतिरलिंगों में बाबा महाकाल ही हैं जो दक्षिण मुखी हैं, ये लाखों, करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र हैं. मंदिर के उपर से कर्क रेखा गुजरती है और इसलिए बाबा महाकाल के मंदिर में विराजे नागचंद्रेश्वर का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है.