नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में भारत-चीन बॉर्डर पर आकाश मिसाइल नहीं तैनात होने पर सवाल उठाये हैं. रिपोर्ट के अनुसार जमीन से हवा में मार करने वाली स्वदेशी ‘आकाश मिसाइल’ को भारत के ‘चिकन नेक’ कहलाने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर सहित चीन सीमा से सटे छह अहम बेस पर साल 2013 से 2015 के बीच लगाया जाना था. लेकिन अब तक कोई भी मिसाइल लगाया ही नहीं गया.
कैग की संसद के समक्ष रखी गई अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि आकाश मिसाइल के 30 फ़ीसदी परीक्षण जो अप्रैल से नवंबर 2014 के बीच हुए, वे नाकाम रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आकाश अपने लक्ष्य से पीछे छूट गया, इसकी क्वालिटी कमज़ोर दिखी. इससे पीएम मोदी के मेक इन इंडिया पहल को झटका माना जा रहा है. वहीं भारतीय वायुसेना ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया.
DRDO द्वारा डिजाइन किए गए इन मिसाइलों का उत्पादन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने किया है. रिपोर्ट के मुताबिक मिसाइलों की कमी के कारण देश को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट के अनुसार मिसाइल अपने लक्ष्य के कम दूरी पर ही गिर गया. वायुसेना ने 6,200 करोड़ रुपये के 8 आकाश-1 मिसाइल का स्क्वाड्रन तैयार करने का ऑर्डर दे रखा है, जबकि सेना 14,100 करोड़ रुपये के दो आकाश रेजीमेंट को शामिल करने की तैयारी कर रही है.
बता दें कि यूपीए सरकार ने साल 2010 में सिलीगुड़ी कॉरिडोर में इस मिसाइल को तैनात करने की लिए मंजूरी दे दी थी. आकाश जमीन से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल है. ये 18 से 20 किलोमीटर तक की दूरी पर वार कर सकती है.