नई दिल्ली. याकूब मेमन की फांसी से पहले जो राजनीति शुरू हुई थी, वो फांसी के बाद भी जारी है. 250 से ज्यादा लोगों की मौत के जिम्मेदार शख्स की सुनवाई के लिए आधी रात को देश की सर्वोच्च अदालत की बत्तियां जलाई गईं. याकूब के हक में कानून की हर बारीकी को छाना गया, तब जाकर उसे उसके गुनाहों की सजा दी गई लेकिन दुनिया में याकूब की फांसी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
मानवाधिकारों की दुहाई देकर याकूब की फांसी को गलत ठहराया जा रहा है. आतंकवादियों के मामले में भी राजनीति क्यों होती है..? किसी भी दलील के साथ याकूब जैसों के साथ हमदर्दी क्या देश के हित में है.? आज इन्हीं सवालों पर बड़ी बहस में चर्चा की गई.
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