नई दिल्ली: असम में संसदीय सचिव बनाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने असम की पिछली कांग्रेस सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें कांग्रेस सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार के पास ऐसे अधिकार नहीं हैं कि वो संसदीय सचिव की नियुक्ति कर सकें. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दूरगामी असर दिखने वाला है.
बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर भी पड़ सकता है. क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी संसदीय सचिव नियुक्त किया था.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने का मामला अभी चुनाव आयोग में विचाराधीन है. हालांकि, इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही रद्द करने का फैसला सुना चुका है.
बता दें संसदीय सचिव का पद लाभ का पद होता है. और संविधान का अनुच्छेद 102(1)(a) और 191(1)(a) साफ-साफ कहता है कि संसद या फिर किसी विधान सभा का कोई भी सदस्य अगर लाभ के किसी भी पद पर होता है उसकी सदस्यता जा सकती है.