राइट टू प्राइवेसी : SC की 9 जजों की संविधान पीठ में सुनवाई जारी

सुप्रीम कोर्ट में राइट-टू-प्राइवेसी पर सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक पीठ इस महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई कर रही है.

Advertisement
राइट टू प्राइवेसी : SC की 9 जजों की संविधान पीठ में सुनवाई जारी

Admin

  • July 26, 2017 6:41 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में राइट-टू-प्राइवेसी पर सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक पीठ इस महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई कर रही है. चार राज्यों पंजाब, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी की ओर से संविधान पीठ में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए. इस दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि प्राइवेसी संपूर्ण राइट नहीं है ना ही हो सकती है. लेकिन कोर्ट को इसमें संतुलन बनाना है और मैं समझता हूं ये एक खतरनाक क्षेत्र है. 
 
मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि 1954 और 1962 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में उस तरह कभी विचार नहीं किया जा सकता था जैसी तकनीक आज 21 वीं सदी में मौजूद है. उन्होंने कहा कि प्राइवेसी का मुद्दा सिर्फ राज्य और नागरिक के बीच नहीं है बल्कि गैर सरकार और नागरिक के बीच भी है. 
 
 
सिब्बल के अनुसार प्राइवेसी संपूर्ण राइट नहीं है ना ही हो सकती है लेकिन कोर्ट को इसमें संतुलन बनाना है और मैं समझता हूं ये एक खतरनाक क्षेत्र है. प्राइवेसी के मुद्दे पर दोनों पुराने जजमेंट मौजूदा दौर में कोई प्रासंगिकता नहीं रखते
 
इस दौरान पीठ के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड ने कहा सरकार द्वारा गोपनीयता भंग करने एक बात है लेकिन उदाहरण के तौर पर टैक्सी एग्रीगेटर द्वारा आपका दिया डाटा आपके खिलाफ ही इस्तेमाल कर ले प्राइसिंग आदि में वो उतना ही खतरनाक है. मैं जज के तौर पर बाजार जाता हूं और आप वकील के तौर पर माल जाते हैं. टैक्सी एग्रीगेटर इस सूचना का इस्तेमाल करते हैं.
 
वहीं जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि अगर राइट टू प्राइवेसी संविधान के प्रावधान में है तो इसे कहां ढूढें. उन्होंने कहा कि हमारे साथ दिक्कत ये है क्या इसे एक से ज्यादा संविधान के प्रावधानों में तलाशा जाए. संविधान की अनुछेद 21 में इसे तलाशना कम कष्टकारी होगा लेकिन अगर ये आर्टिकल 19 आदि में है तो हमें ये ढूढ़ना होगा कि किस केस के हिसाब ये कहाँ सही ठहरता है. 
 
फिलहाल मामले की सुनवाई जारी है.

Tags

Advertisement