नई दिल्ली: दिल्ली की रायसीना पहाड़ी से चार सौ किलोमीटर दूर कानपुर देहात के एक गांव परौंख से चलकर रामनाथ कोविंद आज राष्ट्रपति बन गए है. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपने पहले संबोधन में रामनाथ कोविंद ने कहा था-मिट्टी के घर में पला-बढा हूं.
बारिश होती थी तो झोपड़ी की ओट में खड़ा होकर इंतजार करता था कि कब बारिश थमेगी. आज वही रामनाथ 340 कमरे वाले विशाल राष्ट्रपति भवन पहुंच गए है. हिन्दुस्तान के गणतंत्र की यही सबसे बड़ी ताकत है. आज दिनभर दिल्ली में कार्यक्रम चलते रहे.
रामनाथ कोविंद के हिंदी में शपथ लेने के बाद संसद भवन में जय श्रीराम के नारे भी लगे. इसके अलावा भारत माता की गूंज भी सेंट्रल हॉल में सुनाई दी. नए राष्ट्रपति ने भारत माता की जय पर अभिवादन स्वीकार किया है. देश की सेनाओँ के सुप्रीम कमांडर के नाते रामनाथ कोविंद ने पहली बार सलामी ली. सलामी लेने के बाद राष्ट्रपति ओपन कार में सवार हुए.
इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. बग्घी की सवारी को राष्ट्रपति की शान की सवारी माना जाता है और रामनाथ कोविंद ने प्रोटोकॉल के मुताबिक पहले दिन राष्ट्रपति भवन में ये शाही सवारी की है. 6 घोड़ों वाली बग्घी सोने से जड़ी होती है, जिस पर राष्ट्रपति के साथ और चुनिंदा लोग सवार होते हैं.
इस शादी बग्घी पर एक छतरी भी लगी होती है, जिसे खास तरह से मढ़ा जाता है. एक ही कार में बैठकर रामनाथ कोविंद और प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन पहुंचे. जिसके बाद नए राष्ट्रपति को स्टडी रूम ले जाया गया.
प्रोटोकॉल के मुताबिक राष्ट्रपति अपने नए आवास में सबसे पहले स्टडी रूम में कुर्सी पर बैठते हैं, और यहीं से उनका 5 साल का टैन्योर शुरू हो जाता है. रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद का कार्यभाल संभाला है, जो अगले 5 साल तक रहेगा.
रामनाथ कोविंद ने संसद भवन से राष्ट्रपति हाउस की दूरी 20 मिनट में तय की है. इस दौरान उनके साथ घुड़सवारों की एक यूनिट रही, जिसे राष्ट्रपति के अंगरक्षक कहा जाता है.
ये दुनिया की एकमात्र यूनिट है, जो घोड़ों का इस्तेमाल करती है. साल 1773 में गठित प्रेसीडेंशियल बॉडीगार्ड का आखिरी बार 1950 में नाम बदलकर राष्ट्रपति के अंगरक्षक रखा गया. कम से कम 6 फीट की ऊंचाई वाले राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की संख्या 200 के आसपास होती है.