गांधीनगर: भारत की विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के अंश का पता चला है. गुजरात के कच्छ जिले के रण में वैज्ञानिकों को सरस्वती नदी के होने के साक्ष्य मिले हैं. रिसर्च रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अरब सागर से सटे कच्छ के रण में सरस्वती नदी के कुछ साक्ष्य मिले हैं. वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है आज से कुछ हजार साल पहले सरस्वती नदी अस्तित्व में थी जो कि हिमालय से निकलकर पश्चिमी सागर की खाड़ी में मिलती थी.
नेचर वेबसाइट में छपे रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 6 साल के रिसर्च के बाद बताया गया गया है कि सरस्वती नदी हिमालय से निकली थी और गुजरात के कच्छ के रण में विलुप्त हो गई. नेचर की रिपोर्ट में प्रोफेसर चम्याल और उनकी टीम ने बताया है कि 14 जुलाई 2017 को हम इस मुकाम पर पहुंच गए कि आज से लगभग 10 हजार ईशा पूर्व सरस्वती नदी हिमालय से गुजरात के कच्छ रण तक बहती थी.
रिसर्च में बताया है कि रिसर्च करने वाली टीम ने कच्छ के रण में 60 फीट गहरा ड्रील करके नदी के सैंपल इकट्ठा किए थे. निकले हुए सैंपल को Neodymium और स्ट्रोंटियम नामक दो आइसोटोप से जांच के बाद टीम को नदी की उम्र और उसके उद्गम का पता चला. हिमालय और रण के सैंपल एक जैसा पाए गए.
इस रिसर्च में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने भी सहायता की है. संस्थान ने सैटेलाइट पिक्चर की सहायता से यह बताने का प्रयास किया है कि आज से 10 हजार ईशा पूर्व सरस्वती नदी की स्थिति कैसी रही होगी. रिसर्च की टीम ने अपना रिपोर्ट सरकार को भेज दिया है.
यह रिसर्च भारत सरकार के साइंस ऑफ शैलो सरफेस प्रोग्राम(SSS) के अंतर्गत किया गया है. इसके रिसर्च टीम में एमएस यूनिवर्सिटी के भूगर्भशास्त्र डिपार्टमेंट के नितेश खोंडे, डीएम मौर्य, एलएस चम्याल, फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी अहमदाबाद के सुनील कुमार सिंह, विनय कुमार राय और यूएस के वुड्स होल ओसोनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन के लिवियो गियोशन शामिल थे.