कहते हैं शेषनाग के मुंह से पूंछ तक के बीच में हैं उत्तराखंड की ये गुफा

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में अल्मोड़ा से करीब 160 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कस्बा है. जिसे गंगोलीहाट कहते हैं. यहीं पर है पाताल भुवनेश्वर गुफा है. जिसके बारे में हमने और आपने तमाम कहानियां सुनी होंगी. इस गुप्त लोक में प्रवेश करने से पहले इंडिया न्यूज ने पूरी तरह पड़ताल की.

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कहते हैं शेषनाग के मुंह से पूंछ तक के बीच में हैं उत्तराखंड की ये गुफा

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  • July 23, 2017 5:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
कुमाऊं: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में अल्मोड़ा से करीब 160 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कस्बा है. जिसे गंगोलीहाट कहते हैं. यहीं पर है पाताल भुवनेश्वर गुफा है. जिसके बारे में हमने और आपने तमाम कहानियां सुनी होंगी. इस गुप्त लोक में प्रवेश करने से पहले इंडिया न्यूज ने पूरी तरह पड़ताल की. आसपास के लोगों से इसके बारे में जाना और पूछा और फिर गुफा में प्रवेश किया. 
 
गुफा अंदर घुसते ही अचानक से रोशनी कम होती जाती है. चारों तरफ पत्थर और उसके बीच एक सुरंग सी नज़र आती है. यहां घबराहट भी आम लोगों की शुरू हो जाती हैं, क्योंकि गुफा के अंदर थोड़ी दूर तक अंधेरा ही रहता है, देखने लायक कुछ ज्यादा होता नहीं है. इसके थोड़ी दूरी तय करने के बाद रोशनी नज़र आती है. 
 
 
90 फीट का ये रास्ता अब खत्म होने के बाद वो रहस्यमय संसार आ जाता है. जिसके बारे में कहते हैं कि यहां ब्रह्मांड का सबसे बड़ा रहस्य छिपा हुआ है. इस गुफा का नाम पाताल भुवनेश्वर है. पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में कहते हैं कि ये शेषनाग के मुंह से लेकर उसकी पूंछ तक के बीच में है और इसी शेषनाग के ऊपर धरती टिकी है.
 
स्कंद पुराण में इस गुफा के विषय में कहा गया है कि इसमें भगवान शिव का निवास है. सभी देवी-देवता इस गुफा में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं. गुफा के अंदर जाने पर आपको इसका कारण भी समझ में आने लगेगा. गुफा के संकरे रास्ते से जमीन के अंदर आठ से दस फीट नीचे जाने पर गुफा की दीवारों पर कई ऐसी  आकृतियां नजर आने लगती हैं जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे.
 
शेषनाग के गर्भ का जो रास्ता हमें दिखाया गया. उसमें आगे जाकर हमें कई गुफाएं नज़र आती हैं लेकिन गुफा के अंदर एक कुंड भी है.  कहते हैं कि राजा परीक्षित को एक श्राप मिला था कि उनकी मौत किसी सांप के काटने से होगी. इसीलिए राजा परीक्षित के बेटे जन्मेजय ने पूरी दुनिया के सांपों को पकड़ा और इसी कुण्ड में जला दिया. तक्षक नाम का एक नाग वहां से भाग निकला और कहते हैं कि उसी ने बदला लेते हुए राजा परीक्षित को मौत के घाट उतार दिया.
 
 
शेषनाग की रीढ़ की हड्डी से गुजरने के बाद एक अलग सी आकृति का पत्थर देखने को मिलेगा. कहते हैं कि भगवान शिव ने जब भगवान गणेश का सिर काटा था तो उनका धड़ इसी जगह पर जीवित रखा गया. पाताल भुवनेश्वर गुफा में पग-पग पर पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी कहानियां बिखरी हैं लेकिन सबसे रहस्यमयी है शिव का वो लिंग जिस पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों विराजमान हैं.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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