पटना: आज भी देशभर में कई ऐसे गांव है जहां के लोगों को रोजगार की तलाश में अपने घर, अपने गांव और अपने लोगों तक को छोड़ना पड़ता है. न चाहते हुए भी लाखों लोग रोजगार की मजबूरियों की वजह से अपने शहर से महरूम हैं.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके अपने घर अपने गांव में रोजगार के साधन नहीं है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव की कहानी सुनाने जा रहे हैं बढ़ती बरोजगारी के इस दौर में अपनी ही जमीन पर अपने ही लोगों को रोजगार देने का हुनर सीख लिया है.
यह गांव है बिहार के रक्सौल में मौजूद शीतलपुर गांव. यहां के लोगों को अब रोजगार के अब सरहद से बाहर जाने की जरूरत नहीं है बल्कि आज ये गांव खुद आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहा है.
इस गांव में कोई भी बेरोजगार नहीं है. यहां के युवा सरकार के नौकरी नहीं मांगते हैं. यहां खुशहाली की वजह है सेलर मशीन. 37 साल पहले एक युवक वासुदेव ने इस सेलर मशीन इंडस्ट्री को स्थापित कर की थी. यह एक ऐसी मशीन है जो धान से भूसी को अलग करती है और चावल निकालती है.
इतनी ही नहीं इसी मशीन के जरिए चावल की पॉलिश की जाती है और फिर इस चावल को बाजार में बेचा जाता है. शीतलपुर में इसी मशीन को बनाने का काम होता है. इसी मशीन ने शीतल पूरी की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदलकर रख दी है.