सुप्रीम कोर्ट में आज आधी रात 2.30 बजे याकूब मेमन के वकीलों की याचिका पर अभूतपूर्व सुनवाई शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच यह तय करेगी कि दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद फांसी का कानून पहली याचिका से गाइड होगा या आखिरी से.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज आधी रात 2.30 बजे याकूब मेमन के वकीलों की याचिका पर अभूतपूर्व सुनवाई शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच यह तय करेगी कि दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद फांसी का कानून पहली याचिका से गाइड होगा या आखिरी से.
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच याकूब मेमन के वकीलों की याचिका पर सुनवाई कर रही है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण समेत कई वकील रात में चीफ जस्टिस के आवास पहुंचे थे और अपील की थी कि उनकी याचिका पर रात में ही सुनवाई की जाए क्योंकि याकूब को सुबह 7 बजे नागपुर की जेल में फांसी देना मुकर्रर है.
याकूब के वकीलों का कहना है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने याकूब की दया याचिका बीती रात खारिज की है इसलिए उसकी फांसी 14 दिन के लिए टाल देनी चाहिए. राष्ट्रपति के पास याकूब की यह दूसरी दया याचिका थी. इससे पहले राष्ट्रपति उसकी एक दया याचिका पिछले साल खारिज कर चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट को अाज ये तय करना है कि दया याचिका खारिज होने और फांसी के बीच 14 दिन का अंतराल रखने का कानून पहली दया याचिका के खारिज होने की तारीख से लागू होगा या आखिरी याचिका के खारिज होने की तारीख से.
अगर सुप्रीम कोर्ट यह तय करता है कि 14 दिन का अंतराल पहली दया याचिका के खारिज होने के बाद से ही लागू होगा तो याकूब मेमन का बचना मुश्किल है.
याकूब के वकीलों की एक दलील ये भी है कि महाराष्ट्र के जेल नियमों के मुताबिक दया याचिका खारिज होने और फांसी चढ़ाने के बीच कम से कम सात दिनों का अंतर होना चाहिए. वैसे जेल अधिकारियों को इस प्रावधान को नजरअंदाज करने का अधिकार है