नई दिल्ली: भारत बाल विवाह की समस्या से लगातार जूझ रहा है. आज जारी एक रिपोर्ट में ये कहा गया है कि देश में कुल 10.3 करोड़ बाल विवाह हुए हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि 10.3 करोड़ बाल विवाहितों में 8.5 करोड़ लड़कियों की संख्या है.
एक्शन एड इंडिया की रिपोर्ट की मानें तो पूरी दुनिया में जितने भी बाल विवाह के मामले आए हैं, उनमें भारत का योगदान 33 फीसदी है. ये आंकड़ा इस देश के लिए काफी भयावह है.
रिपोर्ट जारी करते हुए अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ता और एक्शनएड इंडिया की चेयरपर्सन शबाना आजमी ने कहा कि बाल विवाह की जड़ में पितृसत्ता है और बाल विवाह को खत्म करने के लिए सबसे पहले पितृसत्ता को पूरी तरह से मिटाना होगा.
साथ ही उन्होंनें कहा कि शिक्षा के प्रसार और सभी लड़कियों में आत्मविश्वास का बढ़ावा देने से उनके भीतर बाल विवाह का विरोध करने का साहस मिलता है और जिंदगी को अपनी तरह से जीने का तरीका भी.
एक्शनएड इंडिया की रिपोर्ट में कुछ अहम तथ्य सामने आएं हैं जो न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि काफी चिंताजनक हैं-
- भारत में बाल विवाह की संख्या (10.3 करोड़) फिलीपींस (10 करोड़) और जर्मनी (8.68 करोड़) की जनसंख्या से अधिक है.
- भारत में हर एक घंटे में 150 बाल विवाह होते हैं.
- पूरी दुनिया में हर मिनट में 28 बाल विवाह होते हैं. वहीं भारत में हर मिनट में ये संख्या 2 है.
- रिपोर्ट की मानें तो गर्ल चाइल्ड मैरेज को खत्म कर 27 हजार नवजात मृत्यु, 55 हजार शिशु मृत्यु और 1 लाख 60 हजार बच्चे की मृत्यु को बचाया जा सकता है.
- गर्ल चाइल्ड मैरेज के उन्मुलन से 5 प्रतिशत अधिक साक्षरता की दर बढ़ सकती है.
- गर्ल चाइल्ड मैरेज की समाप्ती से भारती की जीडीपी में 1.7 फीसदी का योगदान हो सकता है.