पुणे : सन् 1944 में महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे के हमले से बचाने वाले स्वतंत्रता सेनानी भीकूदाजी भिलारे का 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. इन्हें गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है.
भिलारे को गोडसे के हमले से महात्मा गांधी की जान बचाने का श्रेय दिया जाता है. बुधवार को महाराष्ट्र के भिलार में आखिरी सांस लेने वाले भिलारे ने अपने कई इंटरव्यू में गोडसे के हमले को रोकने का जिक्र किया था.
उन्होंने बताया था कि 1944 में पंचगनी में महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा थी. इस सभा में हर कोई शामिल हो सकता था. सभा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सहयोगी प्यारेलाल, ऊषा मेहता, अरुणा आसफ अली और उनके अन्य सहयोगी भी मौजूद थे. उसी वक्त नाथूराम गोडसे भी सभा में दौड़ते हुए आया, उसके हाथ में चाकू था. वह कह रहा था कि उसे महात्मा गांधी से कुछ जरूरी सवाल करने हैं, लेकिन वक्त रहते ही भिलारे ने गोडसे के हाथ से चाकू छीन लिया. हालांकि बाद में गांधी जी ने गोडसे को जाने दे दिया.
भिलारे ने जिस घटना का जिक्र किया है उसकी ओर महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी के दस्तावेज भी इशारा करते हैं, लेकिन कपूर कमिशन का कहना है कि 1944 की जिस घटना का जिक्र भिलारे ने किया है उसको लेकर कोई ठोस सबूत नहीं हैं.
भीकूदाजी का जन्म 26 नवंबर 1919 को हुआ था. भिलारे क्रांतिकारी नाना पाटिल की ओर से संचालित समानांतर सरकार आंदोलन में काफी सक्रिय थे.