नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पुराने नोट बदलने के लिए एक और मौका देने से साफ इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा कि अगर 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट जमा कराने का फिर से मौका दिया गया, तो कालेधन पर काबू पाने के लिए की गई नोटबंदी का मकसद ही बेकार हो जाएगा.
केंद्र ने कहा कि ऐसे में बेनामी लेनदेन और नोट जमा कराने में किसी दूसरे व्यक्ति का इस्तेमाल करने के मामले बढ़ जाएंगे और सरकारी विभागों को ये पता लगाने में दिक्कत होगी कि कौन से मामले असली हैं और कौन से फर्जी. सरकार ने कहा कि 1978 में हुई नोटबंदी में नोट जमा कराने के लिए सिर्फ 6 दिन दिए गए थे, जबकि इस बार सरकार ने 51 दिन दिए जो कि काफी हैं.
दरअसल 4 जुलाई को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक से पूछा था कि जो लोग नोटबंदी के दौरान पुराने नोट जमा नहीं करा पाए उनके लिए कोई विंडो क्यों नहीं हो सकती?
कोर्ट ने कहा था कि जो लोग जायज कारणों के चलते रुपये बैंक में जमा नहीं करा पाए, उनकी संपत्ति सरकार इस तरह नहीं छीन सकती है. लेकिन अब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर साफ कर दिया है कि पुराने नोट जमा कराने का अब कोई मौका नहीं मिलेगा.
केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद 9 नवंबर से 30 दिसंबर तक 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को जमा कराने का अवसर दिया था. कई नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पुराने नोटों को जमा करने के लिए एक मौका फिर दिए जाने की मांग की थी.
बता दें कि केंद्र सरकार ने नोटबंदी का फैसला 8 नवंबर 2016 को लिया था जिसके बाद 9 नवंबर से ही 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट अमान्य कर दिए गए. यह उस वक्त बाजार में प्रचलित कुल करेंसी का 86 फीसद हिस्सा थी.