नई दिल्ली: वेंकैया को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना भी बीजेपी की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है. वेंकैया नायडू आंध्र प्रदेश से आते हैं. आंध्र समेत दक्षिण भारत में बीजेपी का फिलहाल कोई मजबूत आधार नहीं है. राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी ने रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया है. इसलिए ये जरूरी था कि दक्षिण का समीकरण भी बराबर किया जाए.
वेंकैया फिलहाल मोदी सरकार में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री हैं. उनके पास शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री की भी जिम्मेदारी है. दक्षिण भारत में बीजेपी का बड़ा चेहरा रहे हैं. बीजेपी और संघ, दोनों की विचारधारा बखूबी समझते हैं.
2002 से 2004 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. पार्टी में कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं. वाजपेयी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री थे. इनका पूरा नाम मुप्पवरपु वेंकैया नायडू है. 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में इनका जन्म हुआ था.
लोकसभा
उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति के चुनाव से कई मायनों में अलग होता है, उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही वोटिंग करते हैं. फिलहाल संसद के दोनों सदनों में कुल 790 सदस्य हैं. लोकसभा में निर्वाचित सदस्य 543 हैं. जबकि मनोनीत सदस्यों की संख्या 2 है. यानी लोकसभा के कुल 545 सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगे.
राज्यसभा
इसके अलावा राज्यसभा में निर्वाचित सदस्यों की संख्या 233 है. जबकि 12 सदस्य मनोनीत किए जाते हैं. यानी कुल मिलाकर 245 सदस्य. इस लिहाज से दोनों सदनों के कुल 790 सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगे. इसमें बहुमत का आंकड़ा 396 का है.
आंकड़ों का गणित देखें
आंकड़ों का गणित देखें तो एनडीए का पलड़ा उपराष्ट्रपति चुनाव में भी भारी पड़ता दिख रहा है. लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए का आंकड़ा फिलहाल करीब 444 सदस्यों का है. हालांकि बीजेपी की कोशिश होगी कि एनडीए के बाहर के दलों से भी समर्थन जुटाकर 500 का आंकड़ा पार किया जाए. फिलहाल एनडीए बहुमत के आंकड़े के पार है. उपराष्ट्रपति चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 396 सदस्यों का है. ऐसे में एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार वेंकैया नायडू की जीत तय मानी जा रही है.
वेंकैया नायडू Vs गोपाल कृष्ण गांधी
उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार वेंकैया नायडू का यूपीए के गोपाल कृष्ण गांधी से सीधा मुकाबला होगा. वेंकैया नायडू ने छात्र नेता के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. जबकि गोपालकृष्ण गांधी 1968 में आईएएस बने थे. वेंकैया नायडू 1978 में पहली बार विधायक चुने गए थे. जबकि गोपाल कृष्ण गांधी 1985 से 1987 तक उपराष्ट्रपति के सेक्रेटरी रहे. वेंकैया पहली बार 1998 में राज्यसभा के लिए चुने गए. जबकि गोपाल कृष्ण गांधी 2004 से 2009 के बीच पश्चिम बंगाल के गवर्नर रहे.