नई दिल्ली: हिंदुस्तान में हर रात भूखे पेट सोने वालों की संख्या लगभग 20 करोड़ है. हर सरकार अपनी योजनाओं से इसको कम करने की कोशिशें करती है. लेकिन बनारस में एक व्यक्ति ने भूखे पेट सोने पर मजबूर लोगों की मदद के लिए एक बैंक खोला है. रोटी बैंक जो भूखे लोगों को रोटी देता है बिना किसी ब्याज या पॉसबुक या फिर अकाउंट के.
ये तस्वीर किसी को भी इमोशनल कर सकती है लेकिन इसी हिंदुस्तान में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके लिए ये तस्वीर. समाज की तकदीर बदलने की प्रेरणा है. वाराणसी में वैसे तो दुनिया भर के बैंकों की शाखाएं हैं. लेकिन एक बैंक ऐसा भी जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है.
ये है दुनिया का पहला रोटी बैंक– जी हां यहां पैसे या गहनें नहीं रोटियां जमा होती हैं और बिना पासबुक, बिना अकाउंट के निकाली भी जाती हैं. ये रोटी बैंक सामनेघाट के पास महेशनगर में है और इसका संचालन किशोर तिवारी करते हैं. अब समझिए ये काम कैसे करता है.
किशोर तिवारी लोगों से हर रोज सिर्फ दो रोटी, सब्जी या अचार दान में मांगते हैं . बैंक से अब तक 25 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं जो नियमित अन्न का दान करते हैं और रोजाना शाम 6 बजे के बाद लंका, अस्सी, सामनेघाट पर सड़क और घाट के किनारे रहने वाले गरीबों को रोटी, सब्जी और अचार बांटा जाता है.गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का काम करने वाले सुनील तिवारी के मुताबिक उनको रोटी बैंक बनाने का विचार इक घटना से आया.
जिसने वाराणसी के कम से कम 100 लोगों का जीवन तो बदल ही दिया है. एक आंकड़े के मुताबिक भारत में रोजाना लगभग 20 करोड़ लोग भूख पेट सोने पर मजबूर होते हैं. रोटी बैंक का ये प्रयास हालांकि अभी छोटा ही है लेकिन बड़ी उम्मीदों वाला है.