नई दिल्ली: पूरे उत्तर भारत में बारिश ने काफी तबाही मचा दी हैं. ब्रह्मपुत्र की कोख में बसा पूर्वोत्तर का राज्य असम कराह रहा है. बाढ़ की विनाशलीला ऐसी है कि लाखों लोग बेघर हो चुके हैं. ऐसे में लोगों को अपने घर-बार से दूर राहत शिविरों में पनाह लेनी पड़ी है. राहत शिविरों की जिंदगी कैसी है ?
इस त्रासदी में लोगों को सरकारी राहत के आसरे कैसे गुजर-बसर करना पड़ रहा है ? एक-एक तस्वीर तफ्सील से दिखाएंगे. लेकिन उससे पहले बाढ़ से बर्बाद असम की ये तस्वीरें देखिए. चारों तरफ पानी ही पानी सबकुछ पानी में डूब चुका है.
घर, खेत-खलिहान से लेकर स्कूल और अस्पताल तक. ज्यादातर लोगों ने जिंदगी की खातिर राहत शिविरों में शरण लेना मुनासिब समझा. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें बाढ़ में बिखरते अपने आशियानों से दूर होना मंजूर नहीं. लिहाजा, सरकार उन तक भी राहत पहुंचाने में कसर नहीं छोड़ रही है. ऐसे ही एक मिशन का इंडिया न्यूज़ भी गवाह बना.
हम इस नाव से उन गांवों तक जाने की कोशिश कर रहे हैं. जहां राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. ये ब्रह्मपुत्र नदी है. नाव से सैलाब में घिरे गांवों तक पहुंचने के सफर में बाढ़ की तबाही भी साफ नजर आ रही थी.
देखिए, कैसे झोपड़ियों में पानी भरा हुआ है. यहां के लोग बताते हैं कि ब्रह्मपुत्र के आसपास के गांवों में साल के छह महीने ऐसे ही हालात बने रहते हैं. क्योंकि पानी उतरते-उतरते लंबा वक्त लग जाता है और जिंदगी यूं ही सिसकती रहती है. घरों तक पहुंचना जिंदगी दांव पर लगाने जैसा है. बांस की बल्लियों के जुगाड़ू पुल के सहारे लोग अपने घरों तक पहुंचते हैं.