बेटियां: समाज में महिलाओं के अत्याचार पर आवाज बुलंद करने वाली शिल्पी मारवाह की पूरी कहानी

'ढाई साल की बच्ची से लेकर 90 साल की औरत तक का बलात्कार होता है'. दुपट्टा ऐसे ओढ़ो, अंधेरा होने के बाद घर से मत निकलो. औरत या तो देवी है या कुलटा दस्तक दीजिए समाज के दिमाग पर, खुद की सोच पर. 'संवाद के साथ भाव और भंगिमाएं इतनी प्रभावी हैं कि द्वारका के डीएवी स्कूल में चारों ओर जमे हजार से ज्यादा दर्शकों की तालियां गूंज उठती हैं.

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बेटियां: समाज में महिलाओं के अत्याचार पर आवाज बुलंद करने वाली शिल्पी मारवाह की पूरी कहानी

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  • July 15, 2017 3:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: ‘ढाई साल की बच्ची से लेकर 90 साल की औरत तक का बलात्कार होता है’. दुपट्टा ऐसे ओढ़ो, अंधेरा होने के बाद घर से मत निकलो. औरत या तो देवी है या कुलटा दस्तक दीजिए समाज के दिमाग पर, खुद की सोच पर. ‘संवाद के साथ भाव और भंगिमाएं इतनी प्रभावी हैं कि द्वारका के डीएवी स्कूल में चारों ओर जमे हजार से ज्यादा दर्शकों की तालियां गूंज उठती हैं.
 
जी हां हम बात कर रहे हैं सोलो प्ले ‘अ वूमन अलोन’ की कलाकार शिल्पी मारवाह की. शिल्पी मारवाह पिछले 5-6 साल में दस्तक नाम के आधे घंटे के इस नुक्कड़ नाटक के हजारों शो कर चुकी हैं. अब तक वे बीसेक नुक्कड़ नाटकों के 8,000 से ज्यादा शो कर चुकी हैं.
 
 
रांझना फिल्म में उन्होंने एक अहम भूमिका की लेकिन थिएटर की व्यस्तताओं के चलते आमिर खान की दंगल में काम करने से मना कर दिया. गोरा रंग, सुंदर चेहरा-मोहरा, पौने छह फुट की लंबाई और गहरी ऑब्जर्वेशन क्षमता. वे चाहतीं तो अभिनय की बारीकियां सीखने के बाद सिनेमा की ओर निकल लेतीं. कंगना रनोट ने भी शुरुआती गुर आखिरकार गौड़ से ही सीखे थे. लेकिन उन्होंने थिएटर की बड़ी चुनौती चुनी.
 
 
बता दें कि करीब 12 साल से शिल्पी नुक्कड़ नाटक कर रही हैं. ‘अस्मिता थिएटर ग्रुप’ के बैनर तले शिल्पी ने सैकड़ों शो किए. लेकिन अब शिल्पी अपने खुद के थिएटर ग्रुप ‘सुखमंच’ के जरिए लोगों तक अपनी बात पहंचाती हैं. शिल्पी के थिएटर ग्रुप में सौ से भी ज्यादा कलाकार काम करते हैं.
 

 

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