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मोहन भागवत को आतंकियों की सूची में डालना चाहती थी UPA सरकार, निजी चैनल का दावा

नई दिल्ली : एक निजी चैनल के आरएसएस प्रमुख पर सनसनीखेज खुलासे से सोमवार से शुरु हो रहा मानसून सत्र काफी हंगामेदार रह सकता है. एक निजी चैनल ने दावा किया है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को आतंकवादियों की सूची में डालना चाहती थी.   अंग्रेजी अखबार टाइम्स […]

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  • July 15, 2017 3:11 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : एक निजी चैनल के आरएसएस प्रमुख पर सनसनीखेज खुलासे से सोमवार से शुरु हो रहा मानसून सत्र काफी हंगामेदार रह सकता है. एक निजी चैनल ने दावा किया है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को आतंकवादियों की सूची में डालना चाहती थी.
 
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार उनके पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक यूपीए सरकार अपने अंतिम दिनों में आरएसएस चीफ मोहन भागवत को आतंकवादियों की सूची में डालना चाहती थी. भागवत को ‘हिंदू आतंकवाद’ के जाल में फंसाने के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार के मंत्री कोशिश में जुटे थे.
 
 
चैनल का दावा है कि अजमेर और मालेगांव हिंसा के बाद यूपीए सरकार एनआईए पर इस बात के लिए दबाव बना रही थी कि भागवत को घेरा जाए. एनआईए द्वारा बनाई गई फाईल्स की नोटिंग्स के अनुसार जांच आधिकारी अभिनव भारत नाम के संगठन की अजमेर और अन्य धमाकों में भूमिका के चलते मोहन भागवत से पूछताछ करना चाहते थे. 
 
बता दें कि 2014 में एक पत्रिका में संदिग्ध आतंकी स्वामी असीमानंद का इंटरव्यू छपा था. इंटरव्यू में भागवत को आतंकी हमलों का मुख्य प्रेरक बताया गया था जिसके बाद यूपीए ने एनआईए पर जोर डालना शुरू कर दिया. यूपीए चाहती थी कि भागवत से जुड़ी टेप की फॉरेंसिक जांच हो. मगर केस के आगे न बढ़ने से एनआईए ने मामले से किनारा कर लिया और फाइल बंद कर दी.

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