ग्वालियर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ‘चतुर बनिया’ कहे जाने के मामले में ग्वालियर की जिला अदालत में दायर वाद पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. जिला अदालत के जेएमएफसी मानवेंद्र प्रताप सिंह के समक्ष याचिकाकर्ता वकील उमेश कुमार बहरे ने अपने गवाहों की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं के नाम शामिल हैं. साथ ही इसमें क्रिकेटर और एक्टर के नाम भी शामिल हैं.
गवाहों की लिस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अहमद पटेल, अजय माकन, अंबिका सोनी, दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी, अजय भड़ाना, मुकुल वासनिक, मणिशंकर अय्यर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुशील कुमार शिंदे, सचिन पायलट, सचिन तेंदुलकर, मोहसिना किदवई, अमिताभ बच्चन, रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रफुल पटेल सहित 102 गवाहों की लिस्ट अदालत के सामने प्रस्तुत की है.
अदालत ने सुनवाई के बाद 11 अगस्त की अगली तिथि निर्धारित की है. बता दें कि 10 जून 2017 को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रायपुर के मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ‘चतुर बनिया’ कहा था.
इसके बाद ग्वालियर के एडवोकेट उमेश कुमार बहरे ने जिला अदालत में अमित शाह के खिलाफ एक परिवाद पत्र दायर किया था. पहली सुनवाई में अदालत ने याचिकाकर्ता के बयान दर्ज करने के बाद अन्य गवाहों की लिस्ट अदालत में प्रस्तुत करने के लिए कहा था. इसी निर्देश के पालन में आज याचिकाकर्ता ने 102 गवाहों की लिस्ट प्रस्तुत की है.
क्या होता है कोर्ट केस और पुलिस केस से कितना अलग होता है ये मुकदमा
आम तौर पर लोग कोई शिकायत या मुकदमा पुलिस थाने में करते हैं लेकिन कई बार लोग सीधे कोर्ट में जाकर शिकायत डालते हैं. इन शिकायतों पर जब तक कोर्ट संज्ञान ना ले ले तब उनका कोई ज्यादा महत्व नहीं होता.
कोर्ट संज्ञान लेने से पहले शिकायतकर्ता को लगाए गए आरोप को साबित करने वाले सारे सबूत मांगता है और उन सबूतों को देखकर तय करता है कि शिकायत में दम है या नहीं है और ये केस चलाने लायक है या नहीं.
कोर्ट अगर मुकदमे को चलने लायक पाता है तभी मामले में संज्ञान लेकर आरोपियों को नोटिस जारी किया जाता है और तब वो एक सामान्य केस की तरह चलता है जिसमें आरोपी अपना पक्ष रखते हैं और फिर दोनों पक्ष के वकील दलील और बहस की न्यायिक प्रक्रिया से गुजरते हैं.