पंजाब : सरकार ने करीब आठ महीने पहले नोटबंदी की घोषणा कर 500 और एक हजार के पुराने नोटों को बंद कर दिया, मगर भक्त हैं कि भगवान को पुराने नोटों से ही खुश करने में लगे हैं. प्रमुख धार्मिक स्थलों पर लोग दान के रूप में अभी भी पुराने नोट ही चढ़ावा के तौर पर दान दे रहे हैं. अब ये पुराने नोट मंदिर प्रबंधन के लिए मुसीबत हो गये हैं. गोल्डेन टेंपल, वैष्णो देवी और चिंतापुर्णी मंदिर प्रबंधन के लिए ये पुराने नोट गले का फांस बन गया है.
इन मंदिरों के पास पुराने नोट इतने अधिक जमा हो गये हैं कि अब ये मंदिर प्रंबंधन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से पुराने नोटों को बदलने की गुहार लगा रहे हैं. हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और रिजर्व बैंक को ये सुझाव दिया है कि क्यों न वैसे लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया, जाए जिनके पास जेन्यून वजहें हैं. अगर ऐसा होता है तो इन मंदिरों की समस्या का समाधान हो सकता है.
नोटबंदी के बाद पांच सौ और एक हजार के नोट जमा करने की समय सीमा समाप्त होने के छह महीने बाद भी भक्त स्वर्ण मंदिर में पुराने नोट दान करना बंद नहीं कर रहे हैं. स्वर्ण मंदिर का संचालन करने वाली शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) की मानें तो मंदिर में अभी तक 20 लाख के पुराने नोट जमा हो चुके हैं. इसके अलावा अन्य गुरुद्वारों में दान बॉक्स में दी जाने वाली दान से 6 लाख रुपये जमा हुए हैं.
यही वजह है कि करीब 79 से अधिक ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंधन करने वाली एसजीपीसी ने रिजर्व बैंक को एक पत्र लिखकर पुराने नोट बदलने की अनुमति की गुहार लगाई है. बताया जा रहा है कि स्वर्ण मंदिर की दान बॉक्स की मासिक कमाई करीब 7 करोड़ है. पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 74 करोड़ रुपये दान के रूप में कलेक्ट हुए हैं.
माता मनसा देवी मंदिर बोर्ड भी कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है. इस मंदिर के दान बक्से में भी पुराने नोटों के अथाह जमा होने से मंदिर प्रशासन परेशान है. बोर्ड के कार्यकारी ऑफिसर वीजी गोयल का कहना है कि अब वे दान के रूप में पुराने नोटों को अलग से ले रहे हैं मगर उन्हें नहीं पता है कि उन पुराने नोटों का क्या करना है.
नोटबंदी के बाद से इस मंदिर के पास अभी तक दस लाख के पुराने नोट जमा हैं. इस मंदिर प्रशासन का कहना है कि अगर इन पैसों को सरकार बदलने का उपाय कर देती है तो ये माना जाएगा कि भगवान ने पुराने नोटों को स्वीकार कर लिया.