नई दिल्ली : कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुसीबत के रूप जाना जाने वाला बोफोर्स घोटाला एक बार फिर पार्टी के गले की फांस बन सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई बोफोर्स तोप केस को फिर से खोलने की तैयारी में है और इसके लिए वह केंद्र सरकार से इजाजत मांगने वाली है.
पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) के निर्देश पर सीबीआई इस मामले की जांच फिर से शुरू कर सकती है. 1986 की कैग की एक रिपोर्ट की जांच कर रही पीएसी ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से बोफोर्स मामले की फिर से जांच करने की बात कही है.
13 जुलाई को पीएसी की उप-समिति के सदस्यों ने सीबीआई से दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के उस आरोप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही है जिसमें अदालत ने बोफोर्स घोटाले में कार्यवाही को निरस्त करने का आदेश दिया था. पीएसी ने इस केस में पिछली सरकार की नीयत पर कई सवाल खड़े किए हैं.
इसके अलावा पीएसी की समिति ने सीबीआई से यह सवाल भी पूछा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गए. बता दें कि पीएसी की एक उप-समिति बोफोर्स मामले में साल 1986 में आई कैग की एक रिपोर्ट के कुछ पहलुओं की जांच कर रही है.
बीजू जनता दल के सासंद भतृहरि माहताब इस समिति के प्रमुख हैं. माहताब और समिति के अन्य सदस्यों ने बोफोर्स मामले को फिर से खोलने के लिए सीबीआई को निर्देश दिए हैं.
बता दें कि 80 के दशक में बोफोर्स तोप केस कांग्रेस के लिए काला पन्ना साबित हुआ था. बोफोर्स की वजह से ही देश में राजनीतिक तूफान आ गया था और 1989 में राजीव गांधी की करारी हार की यही मुख्य वजह भी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई 2005 में इस मामले में आए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट जाने वाली थी, लेकिन उस वक्त की सत्तारूढ़ यूपीए की सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी थी.