नई दिल्ली: रामसर संधि के तहत वेटलैंड के संरक्षण को लेकर केंद्र और राज्य के उदासीन रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने कहा कि सरकार जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते पर अमल करने की बात करती है, लेकिन वेटलैंड के सरक्षंण को लेकर रामसर संधि पर सालों बाद भी सरकार को कुछ पता नहीं.
कोर्ट ने कहा कि सरकार जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते पर अमल करने की बात करती है, लेकिन वेटलैंड के संरक्षण को लेकर रामसर संधि पर सालों बाद भी सरकार को कुछ पता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय को ये नहीं पता कि देश के 26 रामसर वेटलैंड साइट को इन सालों में 900 करोड़ रुपए राज्यों को दिए वो कैसे खर्च हुए?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अंतराष्ट्रीय समुदाय को क्या जवाब देंगे. कोर्ट ने कहा कि जब केंद्र और राज्यों का इस पर ध्यान ही नहीं है तो सुनवाई बंद कर दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने पर्यावरण और वन मंत्रालय (MOEF) पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट रामसर संधि के तहत देश के वेटलैंड के सरंक्षण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. 18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो बताए कि अब तक राज्यों को सरंक्षण के लिए दिए गए करीब 900 करोड के फंड का इस्तेमाल कैसे किया गया. वहीं कोर्ट ने ये भी निर्देश जारी किया था कि केंद्र ने जो सेटेलाइट मैप के जरिए 201503 वेटलैंड साइंस की पहचान की है, उन सबको सरंक्षित किया जाए.
गुरुवार को हुई सुनवाई में केद्र सरकार की ओर से कहा गया कि फंड को लेकर केंद्र ने राज्यों को चिट्ठी लिखी थी लेकिन को संतोषजनक जवाब नहीं मिला. इसके अलावा वेटलैंड को लेकर फिलहाल उसके पास ज्यादा जानकारी नहीं है. जबकि पिछली सुनवाई में केंद्र ने कहा था कि हमने वेटलैंड को लेकर 2016 में नए नियम बनाए हैं उसे 30 जून 2017 तक इन्हें लागू करेंगे. लेकिन अब केंद्र ने कहा है कि इसके लिए 6 महीने और लगेंगे.
केंद्री की बात सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वो केंद्र की दलीलों से संतुष्ट नहीं है और मजबूरन ये सुनवाई टालनी पड़ रही है जबकि इससे बचा जा सकता था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक सप्ताह में पूरी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है, साथ में चेतावनी भी दी है कि वो पर्यावरण सेक्रेटरी को तलब भी कर सकते हैं.