नई दिल्ली: डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने की दिशा में हम एक कदम और आगे बढे है. दिल्ली के 23 सरकारी स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहज डिजिटल बोर्ड का इस्तेमाल शुरु किया गया है. स्कूल के बच्चों को भारी भरकम बैग और कॉपी किताब से निजात दिलाने की दिशा में बढ़ा ये कदम फिलहाल छात्रों को बेहद पसंद आ रहा है.
अब ना पीठ पर बस्ते का बोझ होगा और ना कॉपी में लिखने और किताब को पढने की परेशानी होगी क्योंकि अब बच्चों को पढाने के लिए डिजिटल बोर्ड आ रहा है. दिल्ली के सरकारी स्कूल इस योजना को लागू करते डिजिटलाइज्ड हो चुके हैं. इन स्कूलों के छात्र अब ‘डिजिटल बोर्ड’ पर किताबें पढ़ने के साथ ही विज्ञान और गणित के जटिल प्रश्न भी आसानी से हल कर पा रहे हैं.
एनडीएमसी के 30 सीनियर सेकंडरी स्कूलों में नवयुग स्कूल के चार स्कूलों सहित कुल 23 स्कूलों में छात्रों के लिए डिजिटल स्मार्ट क्लासेस में पढ़ाई शुरु कर दी गई है. यहां किताबों की बजाय ऑडियो-वीडियो एनिमेशन के माध्यम से पढ़ाई करवाई जा रही है. जिससे छात्र पहले के मुकाबले पढ़ाई में काफी रूचि ले रहे हैं.
इससे छात्रों को साइंस के जूलॉजी, बॉटनी जैसे विषयों से लेकर गणित, कैमिस्ट्री, फीजिक्स तक को समझना काफी आसान हो रहा है. यही नहीं, डिजिटल बोर्ड से पढाई कैसे करायी जाए और नये अपडेट के साथ कैसे और क्या बदलाव होते है. उन सबकी बकायदा ट्रैनिंग भी टीचरों को दी जा रही है.
साथ ही एनडीएमसी के सरकारी स्कूलों में टेबलेट पर होम वर्क देने का काम भी चल रहा है. दिल्ली सरकार के इस कदम से इसकी उम्मीद अब बढ गई है कि आने वाले वक्त में स्कूलों के छात्रों को अपने साथ घर से बस्ता लेकर आने से आजादी मिल जाएगी.