नई दिल्ली: अनंतनाग हमले को अंजाम देकर आतकियों ने अपने लिए तो आखिरी इंतजाम कर ही लिया साथ-साथ पाकिस्तान ने भी अपने लिए मुश्किले खड़ी कर दी है. अब पाकिस्तान को सावधान रहना होगा क्योंकि हिंदुस्तान में इस हमले को लेकर जिस तरह पूरा देश गुस्से में है उसका हिसाब तो पाकिस्तान को देना ही होगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने एलओसी पर बने आतंकवादियों के बेस कैंप की सेटेलाइट तस्वीरें भी देखी हैं, इसलिए पहला और पुख्ता विकल्प तो यही हो सकता है कि हिंदुस्तान आतंकियों के इन बेस कैंपों को ही तबाह कर दे. ना एलओसी पर रहेंगे बेस कैंप और ना ही आतंकी देंगे नापाक हरकतों को अंजाम.
सवाल ये भी है कि क्या हिंदुस्तान इस बार कोवर्ट ऑपरेशन करने का विकल्प अपनाएगा जिस तरह अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के लिए कोवर्ट ऑपरेशन किया था. कोवर्ट ऑपरेशन में भारत को भी महारथ है. म्यामांर में भारतीय सेना ने 4 जून 2015 को मणिपुर में सेना के 18 जवानों के आतंकी हमले में शहीद होने के बाद 10 जून 2015 को भारत- म्यांमार सीमा पर बने आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया था.
तीसरा विकल्प भारत सरकार के साथ ये है कि वो इंटरनेशनल मंच पर कूटनीतिक तौर पर ऐसा माहौल बनाए कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने का दबाव बने. उसे दुनिया से अलग थलग करने का अभियान चलाए. पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीने.
पाकिस्तान के साथ व्यापार और वीजा दोनों पर रोक लगाए. बलूचिस्तान और गिलगिट मामले को भी हवा दे. पूरी दुनिया को ये समझाएं कि चीन ने जिस तरह से पाकिस्तान को बंधक बना रखा है उससे पूरी दुनिया को क्या नुकसान हो रहा है. दुनिया को आतंकवाद के नुकसानों के बारे में भी कूटनीतिक तौर पर भारत को माहौल बनाना चाहिए.
इसके अलावा भारत सीधा आतंक के आका सलाहुद्दीन और हाफिज सईद पर ही निशाना साधने की रणनीति भी अपना सकता है. सलाहुद्दीन को पीएम मोदी के अमेरिका यात्रा के दौरान ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित किया गया था जबकि हाफिज सईद को अमेरिका ने पहले से ही दुनिया में आतंकवाद फैलाने वालों की लिस्ट में डाला हुआ है. सुरक्षा एजेंसियों को शक ये है कि सलाहुद्दीन ने उसी का बदला लेने के लिए ये काम किया है.
प्रधानमंत्री मोदी को एनएसए अजीत डोभाल पल पल की जानकारी दे रहे हैं. खुद पीएम ने एलओसी पर मौजूद आतंकी कैंपो की सैटेलाइट तस्वीरों को देखा है इसका मतलब है कि मोदी किसी बड़ी प्लानिंग में हैं. दुनिया को अपने फैसलों से चौकाने वाले मोदी इस हमले के आकाओं को कैसे चौकाते हैं. ये देखने वाली बात होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने जब अमेरिका दौरे पर हिंदुस्तान के सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में ये बयान दिया था तो उन्हें पता भी नहीं था कि अगले ही महीने सर्जिकल स्ट्राइक -2 की नौबत आ जाएगी. अमरनाथ यात्रियों की बस पर हुए आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने तुरंत ही घाटी की स्थिति का जायजा लिया और साथ ही पाकिस्तानी आतंकी कैंपों के बारे में भी मालूमात हासिल की.
रक्षा मंत्रालय के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो सर्जिकल स्ट्राइक 2 की सारी तैयारी मुकम्मल हो चुकी है. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सेना ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. लेकिन पीएम मोदी पिछली बार की ही तरह इस बार भी सर्जिकल स्ट्राइक को पूरी रणनीति बनाकर और इत्मिनान करके ही अंजाम देने के मूड में हैं.
प्रधानमंत्री पूरे मामले में संयम, प्लानिंग और फिर अटैक की रणनीति पर काम कर रहे हैं. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक 2 को अंजाम देना इसलिए भी जरुरी है ताकि सीमा के पास जो पाकिस्तान के आतंकी कैंप चल रहे हैं उसका खात्मा कर घाटी की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित की जा सके.
सरकार सर्जिकल स्ट्राइक करने में ज्यादा देर भी नहीं लगाएगी क्योंकि घाटी में और उस पार अभी आतंकी सक्रिय है. इसके बाद मौसम बदलेगा और बर्फ पडने लगेगी तो फिर आतंकी बिलो में घुस जाएंगे. एलओसी के पास आतंकी कैंपों पर हमले से शांति बहाल होगी और बर्फबारी के समय आतंकी घुसपैठ नहीं कर पाएंगे.
सेना प्रमुख विपिन रावत ने खुद घाटी में मोर्चा संभाल रखा है. सीआरपीएफ के डीजी से लेकर तमाम बड़े अधिकारी से लगातार मीटिंग चल रही है. हमले के बाद सुरक्षा की जिम्मेदारी के साथ साथ आतंकियों के आगे की रणनीति को नाकाम करना फिलहाल प्राथमिकता में है.
अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं पर हुए आतंकी हमले के बाद से सरकार, सेना और सभी सुरक्षा एजेंसियां मुस्तैद हैं. आर्मी चीफ बिपिन रावत खुद घाटी में मोर्चा संभाले हुए है. बिपिन रावत के साथ DG सीआरपीफ, गृहराज्य मंत्री समेत कई अन्य सीनियर अधिकारी मौजूद हैं. मंगलवार शाम तक सभी के बीच सुरक्षा के मुद्दे पर अहम बैठक हुई है.
आर्मी चीफ विपिन रावत ने चिनार कॉर्प्स कमांडर, चीफ सेक्रेटरी और जम्मू कश्मीर के डीजीपी से बात की है. आर्मी चीफ ने सीधे तौर पर आतंकियों पर दबाव बनाने के दिशा निर्देश दे दिए हैं सूत्रों की मानें, तो हमले के बाद अब सेना दक्षिण कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन चलाएगी. इस ऑपरेशन में सेना के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस भी साथ होगी.
देश में जब-जब बड़े आतंकी हमले हुए उसमें कभी लश्कर ए तैयबा का नाम सामने आया तो कभी हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों ने हमले की जिम्मेदारी ली. लेकिन अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले में आईबी ने जो गृहमंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है. उसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है खुलासा ये कि इस हमले को दोनों आतंकी संगठनों ने मिलकर अंजाम दिया है.
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