नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 18 और 19 जुलाई को आधार कार्ड के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका में आधार कार्ड को आम लोगों के राइट टू प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसे अनिवार्य करने को असंवैधानिक बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने आधार को अनिवार्य बताया था और कहा था कि ये स्वैच्छिक नहीं है. इस मामले पर अलग-अलग समय पर उठाए गए मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया था कि पेंशन या दूसरी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के लिए आधार को अनिवार्य नहीं कर सकते.
याचिका दाखिल करने वाले का कहना है कि सरकार अब आधार कार्ड का दायर बढ़ाते जा रही है और अब आयकर विभाग में दाखिल होने वाले रिटर्न से भी उसे जोड़ दिया गया है. पैन कार्ड से आधार को लिंक करने कहा गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कार्ड के जरिए सरकार नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रख रही है जो निजता के अधिकार का हनन है.
केंद्र सरकार अक्टूबर से ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने या रेन्यू करने में भी आधार कार्ड को अनिवार्य करने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार राज्यों से ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में आधार अनिवार्य रूप से मांगने कहेगी.
दूरसंचार मंत्रालय ने भी सभी मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से जोड़ने का मन बना रखा है. मंत्रालय ने सभी टेलिकॉम ऑपरेटरों को 6 फरवरी, 2018 से पहले तमाम ग्राहकों से उनका नाम, पता, पहचान दोबारा लेने कहा है और उसमें आधार भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ इन्हीं सवालों का निपटारा करने के लिए 18 और 19 जुलाई को लगातार दो दिन आधार कार्ड के खिलाफ उठाए गए सवालों को सुनेगी.