नई दिल्ली: 9 फरवरी 2013 सुबह आठ बजे आतंकी अफजल गुरू को तिहाड़ जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया लेकिन फांसी पर चढ़ाने वाला जल्लाद कौन था? क्या किसी दूसरे राज्य से जल्लाद को बुलाया गया या जेल प्रशासन के ही किसी स्टाफ ने अफजल को फांसी पर चढ़ाया? इन सवालों के जवाब कभी सामने नहीं आए क्योंकि रिकार्ड के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल में कोई भी जल्लाद नियुक्त नहीं है.
तिहाड़ जेल में फिलहाल 19 ऐसे दोषी हैं जिन्हें अदालत से फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है जिनमें निर्भया कांड के चार दोषी भी शामिल हैं. पिछले एक सालों में जेल प्रशासन को चिट्ठी लिखकर कई लोगों ने जल्लाद बनने की इच्छा जताई है. तिहाड़ जेल अधिकारी के मुताबिक हमें दो-तीन पत्र मिले हैं जिनमें लोगों ने दोषियों को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लाद की भूमिका निभाने का प्रस्ताव दिया है. ये सभी लोग मेरठ के उसी गांव के रहने वाले हैं जहां यूपी जेल के लिए नियुक्त जल्लाद रहता है.
जेल कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जो मानसिक तौर पर स्वस्थ हो वो जल्लाद की भूमिका निभा सकता है. जेल का कोई कर्मचारी भी जल्लाद की भूमिका निभा सकता है. जेल अधिकारी के मुताबिक 1989 में हमने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और खेहर सिंह को फांसी पर चढ़ाने के लिए मेरठ जेल के जल्लाद की सेवा ली थी. उन्हें दोषियों को फांसी देने के लिए औपचारिक तौर पर दो सौ रूपये दिए गए थे. उन्होंने कहा कि साल 1989 से 2013 तक तिहाड़ जेल में किसी को फांसी नहीं दी गई.