नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच में सीमा विवाद को लेकर लगातार युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. चीन अपने आपको शेर समझ रहा है और भारत को बिल्ली. चीन लगातार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है. चीन बेवकूफ है. उसे ये समझ नहीं आ रहा है कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं रहा. उसकी मजबूरी है कि वो अब सिर्फ चिल्ला तो सकता है, मगर कुछ कर नहीं सकता.
चीन अपने आपको ताकतवर समझने लगा है. उसे शायद घमंड हो गया है कि उसकी गीदड़ भवकी से भारत डर जाएगा. मगर हम आपको बता दें कि चीन भले ही बार-बार भारत को बुरे अंजाम भुगतने की धमकी दे दे, मगर कुछ वजहें ऐसी हैं, जिसके कारण चीन इंडिया को छू भी नहीं सकता है. अगर वो भारत को किसी तरह से नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो समझो वो अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारेगा.
अगर आप विश्वास नहीं कर रहे हैं तो जानियें कि ऐसी कौन सी वजहें हैं, जिसके कारण चीन चाहकर भी भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है.
कारोबार – चीन की सबसे कमजोर नस यही है. भारत चीन के लिए बड़ा बाजार है. चीन पूरी तरह से इलेक्ट्रोनिक प्रोडक्ट्स और खिलौने के मामले में भारतीय बाजार पर निर्भर है. अगर चीन युद्ध का दुस्साहस करता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है. अगर भारत के लोग चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार कर देते हैं, तो चीन की अर्थव्यवस्था धाराशाही हो जाएगी और चीन इतना भी बेवकुफ नहीं है कि वो ऐसी बड़ी गलती करेगा. इतना ही नहीं, अलीबाबा का हेडक्वार्टर भी भारत में है. साथ ही कई चीनी कंपनियां भारत में अपना पांव पसार रही हैं. इसलिए दुनिया के सामने अपना भौकाल टाइट रखने के लिए चीन दहाड़ तो सकता है, मगर वो भारत का बाल भी बांका नहीं कर सकता है.
न्यूक्लियर पावर वाला भारत – अगर चीन अपने परमाणु क्षमता पर गुमान कर रहा है तो उसे ये भी नहीं भूलना चाहिए कि अब भारत कमजोर नहीं है. भारत भी अब परमाणु क्षमता संपन्न देश है. अगर चीन भारत पर हमला भी करता है तो उसे भी परमाणु हमले के लिए तैयार रहना होगा. अब पहले वाली बात नहीं रही जब भारत के पास परमाणु हथियार नहीं थे. अब अगर परमाणु युद्ध हुआ तो चीन भी को भी खामियाजे के लिए भुगतना पड़ेगा.
विश्व स्तर पर सबका फेवरेट भारत – आज के भारत और पहले के भारत में बहुत फर्क है. आज वैश्विक स्तर पर भारत की धमक है. मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत अब पूरे देश का चहेता बनते जा रहा है. भारतीय बाजारों को देखते हुए हर देश भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहता है. रूस, जापान, इजराइल से लेकर अमेरिका तक के लिए भारत चहेता बन गया है. बीते कुछ सालों में भारत ने वैश्विक स्तर पर एक नया मुकाम बनाने स्थापित किया है.
1962 से अब ज्यादा शक्तिशाली भारत –
चीन की सबसे बड़ी गलतफहमी ये है कि वो भारत को 1962 वाला भारत ही समझ रहा है. उसे लगता है कि आजादी के तुरंत बाद जिस तरह से भारत को वो हराने में कामयाब हो गया था, ठीक उसी तरह वो 2017 में दोहरा पाएगा. लेकिन चीन ये भूल न करे तो ही बेहतर है. कारण कि भारत अब किसी भी देश से टक्कर ले सकता है. भारत इतना सशक्त हो चुका है कि वो चीन को भी धूल चटाने का दमखम रखता है. सैन्य शक्ति में भी भारत ने जबर्दस्त विकास किया है. भारत के ब्रह्मोस से चीन भी खुद डरता है.
अमेरिका का खुला साथ – भारत को चीन से डरने की इसलिए भी जरुरत नहीं है क्योंकि भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का साथ है. चीन और अमेरिका में शक्तिशाली बनने का प्रतिस्पर्धा चल रहा है. इस लिहाज से देखा जाए तो कुटनीतिक तौर पर अमेरिका के लिए भी भारत को सपोर्ट करना फायदेमंद है. अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि चीन किसी भी मामले में उससे आगे बढ़ जाए. इसलिए भी ये जरूरी हो जाता है कि अगर चीन भारत की तरफ आंख उठा कर देखता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अमेरिका भारत का पूरी तरह से साथ देगा.