नई दिल्ली: दूसरे वर्ल्ड वार के बाद दुनिया का एकमात्र देश चीन है जो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को बलपूर्वक बदलने की कोशिश करता रहा है. वह जिसे कमजोर समझता है उसी पर शर्तें थोपता है. चीन का मशहूर खेल वेई-ची है. वेई-ची खेल शतरंज की तरह का एक खेल होता है जो बोर्ड पर खेला जाता है. इसे गो गेम भी कहते हैं. चीन में इस खेल का इतिहास करीब तीन हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. पुराने जमाने में ये राजा महाराजाओं का खेल था जिसके आधार पर वो दुश्मन को घेरने की युद्धनीति भी बनाया करते थे.
बाद में आम जनता के बीच भी ये खेल मशहूर होता गया और अब तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये खेल काफी चर्चित हो चुका है. वेई-ची में 19 बटा 19 कतारों का एक बोर्ड होता है. इस बोर्ड पर सफेद और काले रंग की 361 गोटियां होती हैं यानी हर खिलाड़ी को 180 गोटियां मिलती हैं.
दोनों तरफ के खिलाड़ी बोर्ड पर अलग अलग जगहों पर मोर्चा तैयार करते हैं और विरोधी के मोहरों की घेराबंदी करते हैं. अंत में ये नौबत आ जाती है कि बोर्ड पर आपस में गुत्थमगुत्था लड़ाई के कई मोर्चे बन जाते हैं. जो लोग इस खेल के बारे में नहीं जानते उनके लिए बोर्ड को देखकर विजेता खिलाड़ी के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है पर जो इस खेल की बारीकियों को जानते हैं उन्हें ये समझने में देर नहीं लगती कि यहां कौन किसके चक्रव्यूह में फंस चुका है.
जिस तरह वेई-ची खेल में खिलाड़ी बोर्ड पर खाली पड़े खानों में अपनी गोटी डालते हैं. उसी तरह चीन भी भारत से सटे उन्हीं इलाकों में घुसपैठ करता है जो खाली हैं या अभी तक चिन्हित नहीं हैं. जैसे सिक्किम, लद्दाख या अरुणाचल से सटे बॉर्डर इलाके. इस तरह चीन भारत को अपने रणनीतिक विकल्पों को छोड़ने पर मजबूर करने की कोशिश करता है.
सन 62 की लड़ाई से लेकर अब तक वो इसी रणनीति पर काम कर रहा है. ये वेई-ची खेल का ही तरीका है कि चीन ने भारत के खिलाफ एक साथ कई मोर्चे खोल रखे हैं लेकिन साथ ही ये भी ख्याल रखता है कि कोई भी झड़प पूरी लड़ाई का रूप न ले पाए. हिंद महासागर में चीनी नौसेना की हाल में हुई घुसपैठ भी उनकी वेई-ची तकनीक का ही हिस्सा है.
चीन समुद्री लुटेरों से सुरक्षा के नाम पर अपने जहाज भारत की समुद्री सीमा तक पहुंचा देता है पर असल में वो इसके जरिये हिंद महासागर के रिमोट और संवेदनशील इलाकों में पैर जमाने की कोशिश कर रहा है. 1971 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन चीन के ऐतिहासिक दौरे पर गए थे तब अमेरिकी डिप्लोमैट हेनरी किसिंजर ने चीन की इस चाल को बखूबी समझा था.
किसिंजर ने शतरंज से मिलते जुलते चीन के खेल वेई ची का जिक्र करते हुए ये समझाने की कोशिश की थी कि कैसे चीन इस खेल नीति को अपनी रणनीति बना चुका है. करीब 2 हजार साल पहले चीन के लेखक सुन जू ने ऑन चाइना नाम की एक किताब लिखी थी. उस किताब में विरोधियों को धोखा देने और भ्रामक सूचना के फायदे के बारे में बताया गया था.
ये किताब इतनी ज्यादा चर्चित और मान्य है कि दुनिया की कई सैनिक अकादमियों और मैनेजमेंट स्कूलों में आज भी उसके गुर बताए और समझाए जाते हैं. किताब में सुन जू ने लिखा है- जब ताकत हो, कमजोर दिखें. जब सेना की तैनाती कर रहे हों, तब ऐसा दिखाई न पड़े. जब नजदीक हों, तब लगे कि आप दूर हैं. जब दूर हों, तब लगे नजदीक हैं.
जैसा किताब में लिखा है चीन उसी रणनीति पर चल रहा है. आज से नहीं सालों से. जापान के खिलाफ जंग के दौरान चीनी नेता माओ ने इसी सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि जब दुश्मन हमला करता है तो हम पलायन करते हैं और जब दुश्मन रुक जाता है तब हम पूरी ताकत जुटाकर हमला करते हैं और उसे नष्ट कर डालते हैं.
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