सूरत: एशिया के सबसे बड़े टेक्सटाइल हब के रूप में पहचाना जाता गुजरात के सूरत कपडा बाजार का है जहां सड़क पर हजारों की संख्या में उतरे ये लोग अलग-अलग टेक्सटाइल मार्केट के व्यापारी हैं. इन व्यापारियों ने पिछले 10 दिनों से टेक्सटाइल कारोबारी पर लगे जीएसटी के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है.
इसी क्रम में आज व्यापारियों ने पुरे मार्केट में रैली निकाली और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जीएसटी को व्यापारियों को गाला घोटनेवाला बताया. इन व्यापारियों की मानें तो सरकार को टेक्स देने से इनकार नहीं कर रहे है. सरकार वन टाइम टेक्स ले तो हम तैयार है लेकिन, सरकार कारोबारियों पर जो टैक्स लगा रही है वो गलत हैं.
सूरत व्यापारियों का कहना है कि कपड़े के कारोबार में कई चरण होते हैं इसलिए जीएसटी लागू होने से उनकी परेशानियां कई गुना ज्यादा बढ़ गई हैं. सरकार को इसे वापस लेना होगा. सरकार चाहे तो कुक टर्नओवर का 2% टेक्स ले लें या फिर टेक्स का सरलीकरण करें. शहर में 40 हजार से भी ज्यादा थोक कपड़ा व्यापारी एक जुलाई से ही हड़ताल पर हैं.
देश में सिंथेटिक्स कपडे के उत्पादन का 60% काम सूरत में होता है. एक अनुमान के मुताबिक कपड़ा कारोबार ठप होने से रोज करीब 150 करोड़ का नुकसान हो रहा है. सूरत शहर के टेक्सटाइल मार्केट से लेकर रिंग रोड तक व्यापारियों ने मार्च निकाला.
एमपी के इंदौर में भी जीएसटी के विरोध में प्लायवुड एंड लेमिनेट एसोसिएशन के लोगों ने धरना दिया और सरकार के 28 प्रतिशत टैक्स लगाने फैसले का विरोध किया. वहीं राजस्थान के हनुमानगढ़ में पिछले तीन दिनों से कपड़ा व्यापारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
हनुमानगढ़ के क्लाथ मर्चेंट एसोसिएशन के सभी व्यापिरयों की बैठक हुई जिसमें कपड़ों पर लगाए जाने वाले टैक्स को 5 फीसदी टैक्स को वापस नहीं लेगी तब तक सभी दुकानें बंद रखी जाएंगी. दुकान बंद होने की वजह से आम जनता को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
व्यापारी जीएसटी को कपड़ा व्यापार में लागू न करने की मांग कर रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार ने जीएसटी को कपड़ा व्यापार में लागू किया है. एक जुलाई से कपड़ों पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया जाएगा. प्रदेशभर में 2 लाख दुकान विक्रेता इसका विरोध जता रहे हैं.