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उन बच्चों की कस्टडी पर कानून बने जिनके तलाकशुदा पैरेंट्स अलग देश में रहते हैं: CJI खेहर

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जगदीश सिंह खेहर ने कहा है कि सरकार को उन बच्चों की कस्टडी को लेकर कानून बनाना चाहिए जिनके तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग देशों में रहते हैं. जस्टिस खेहर ने यह बात इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन की ओर से आयोजित ऑल इंडिया सेमिनार में कही.

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  • July 8, 2017 7:53 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जगदीश सिंह खेहर ने कहा है कि सरकार को उन बच्चों की कस्टडी को लेकर कानून बनाना चाहिए जिनके तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग देशों में रहते हैं. जस्टिस खेहर ने यह बात इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन की ओर से आयोजित ऑल इंडिया सेमिनार में कही.
 
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि बाल अधिकार काफी महत्वपूर्ण हैं और फिलहाल इनमें अभी लगातार बदलाव हो रहा है. उन्होंने बच्चों की कस्टडी के मुद्दे पर सरकार से ठोस कानून बनाने की अपील की है. 
 
जस्टिस खेहर ने यह कहा है कि इस पर देश में ठोस कानून बनना चाहिए या फिर हेग कन्वेंशन में भारत को हस्ताक्षरकर्ता बन जाना चाहिए. बता दें कि हेग कन्वेंशन ने ऐसे बच्चों की कस्टडी जिनके तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग देशों में रहते हैं उनके लिए एक व्यवस्था तैयार की है, लेकिन फिलहाल भारत इस व्यवस्था का हिस्सा नहीं बना है.
 
उन्होंने कहा कि चाइल्ड कस्टडी अंतरराष्ट्रीय कानून का मुद्दा है और इस पर चर्चा होनी बेहद जरूरी है. जस्टिस खेहर ने कहा कि अलग-अलग देश में रहने वाले तलाकशुदा पति-पत्नी के बच्चों की कस्टडी को लेकर भारत में सही रूप से कानून नहीं है, या फिर जो भी हैं वो काफी लिमिटेड हैं. इस मुद्दे पर चर्चा की बेहद जरूरत है.

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