नई दिल्ली : ये सच है कि चीन पीठ पर वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ता और पीएम मोदी के इजरायल दौरे के बाद चीन के साथ तनातनी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है. ड्रैगन ने बॉर्डर पर अपने टैंकों को तैनात किया है, लेकिन मोदी सरकार ने तय कर लिया है कि वो ताकत के दम पर ड्रैगन का सिर कुचल कर रहेगी.
जी हां, अब ना तो 1962 वाला वक्त है और ना 1962 का हिंदुस्तान. चीन के साथ तनातनी हर गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है. कभी ड्रैगन युद्ध की धमकी देता है, तो कभी चीनी थिंकटैंक इतिहास के पन्ने उलटने लगते हैं. इस बीच ड्रैगन ने अपने बैटल टैंक बॉर्डर पर तैनात कर दिये हैं. जाहिर है चीन की हिमाकत लगातार बढती जा रही है.
ड्रैगन से निपटने के लिए जरूरी है कि चीनी सीमा पर तैनात भारतीय सेना हर तरह से मज़बूत हो. मोदी सरकार इस पर बीते तीन साल से काम कर रही है. बर्फिले पहाड़ों पर बैटल टैंक तैनात किये गये हैं. तो अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइल को तैनात किया गया है. वहीं होवित्जर तोप भी चीन की सरहद पर पहुंचने वाली हैं. असम को अरुणाचल से जोड़ने वाला पुल भी सरकार की इन्हीं कोशिशों का हिस्सा है.
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