नई दिल्ली : जन कल्याणकारी योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा कि आधार को लेकर निजता के हनन समेत जो मुद्दे आ रहे रहे हैं उनका हल 5 जजों की संविधान पीठ ही कर सकती है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता और केंद्र को कहा कि वो मामले को चीफ जस्टिस के पास लेकर जाएं और संविधान पीठ के गठन की गुहार लगाएं. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल आधार को लेकर अंतरिम रोक संबंधी आदेश जारी करने से इंकार कर दिया है.
वहीं सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार आधार को कॉन्सेंट्रेशन कैंप यानी एकाग्रता शिविर की तरह इस्तेमाल कर रही है ताकि वो एक जगह से ही सब नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रख सके. वहीं AG ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये शब्द सही नहीं हैं.
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जन कल्याणकारी योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि जन कल्याणकारी योजनाओं को लाभ 30 सितंबर तक उन्हें भी मिलेगा जिनके पास आधार कार्ड नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा था कि जिनके पास आधार नहीं है वो दस में से किसी भी दूसरे पहचान पत्र को दिखाकर जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले सकते है. जैसे राशन कार्ड, वोटर कार्ड आदि.
दरअसल शांता सिंहा व अन्य लोगों की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को जोड़ने के लिए सरकार ने तीस जून की डेडलाइन तय कर रखी है जो कि पूरी तरह अवैध है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है.
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