नई दिल्ली: बॉर्डर पर भारत और चीन हर मोर्चे पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. वहां की सरकारी मीडिया ऐसे लेख छापा जो भारत को उकसा रही है. यहां तक की पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जी-20 समिट में मुलाकात को लेकर भी झूठ बोल दिया गया.
हिंदुस्तान से ड्रैगन की दुश्मनी और दगाबाजी दोनों जगजाहिर हैं पर अब चालबाज चीन धोखे और साजिश की तमाम हदें पार कर चुका है. सिक्किम की सीमा पर चीन की शैतानी हरकतों की तस्वीरें पूरी दुनिया देख रही है और अब तिब्बत बॉर्डर पर भी टकराव की आशंका चरम पर पहुंच गई है.
भारत से सटे तिब्बत में चीन के टैंक जंग की तैयारी में जुटे हैं. ताकत और तकनीक के लिहाज से इसे चीन का सबसे एडवांस बैटल टैंक माना जाता है. चीन ने भारत को डराने के लिए तिब्बत में इसी टैंक से ताबड़तोड़ गोले बरसाए.
चीनी के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि तिब्बत में करीब 5,100 मीटर की ऊंचाई पर चीन ने युद्धाभ्यास किया है. चीन ने पहली बार तिब्बत में इतनी ऊंचाई पर सैन्य अभ्यास किया है. जाहिर है ये कहने की जरूरत नहीं कि ड्रैगन की ये फुफकार किसके खिलाफ है.
दरअसल सिक्किम में टकराव के बीच चीन ने भारत पर दबाव बनाने के लिए ये नई चाल चली है. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि ये मिलिट्री एक्सरसाइज कब की गई पर ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन ने ये युद्धाभ्यास अपनी जंग की तैयारी को परखने के लिए किया है.
मतलब साफ है चीन भारत को जंग के लिए उकसा रहा है. वो जानबूझकर भारत से सटी सीमा पर तनाव बढ़ा रहा है. वरना तिब्बत में मिलिट्री एक्सरसाइज का क्या मतलब हो सकता है. इतनी ऊंचाई पर अपने सबसे ताकतवर टैंक को उतारने की वजह क्या हो सकती है.
बता दें कि एक हफ्ते के अंदर चीन ने तिब्बत में दूसरी बार अपने टैंक उतारे हैं. कुछ दिन पहले ही उसने तिब्बत में 35 टन वजन वाले लाइट वेट बैटल टैंक शिंकिंगटन की तैनाती की थी और अब चीन का सबसे एडवांस 96 बीं टैंक भी भारत की सीमा के बिल्कुल पास पहुंच गया है.
हालांकि चीन का दावा है कि तिब्बत में इन टैंकों की तैनाती किसी भी देश के खिलाफ नहीं है. चीन की सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी का कहना है कि ये ट्रायल केवल तिब्बत की जमीन पर बैटल टैंक की क्षमता को परखने के लिए किया जा रहा है. इस सैन्य अभ्यास का और कोई मकसद नहीं है और ना ही कोई देश हमारे निशाने पर है.
लेकिन सिक्किम से सटी सीमा पर बढ़ते तनाव और चीन की तरफ से लगातार जिस तरह से भड़काऊ बयानबाजी हो रही है उसे देखते हुए चीन की नीयत पर भरोसा करना मुश्किल है. सिक्किम विवाद पर दो दिन पहले ही भारत में चीन के राजदूत लू झाओहुई का बयान आया था कि गेंद भारत के पाले में है और भारत को ये तय करना है कि किन विकल्पों को अपनाकर इस गतिरोध को खत्म किया जा सकता है.
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