नई दिल्ली: भारत ने चीन के दाव को खारिज कर दिया है. भारत ने कहा है कि जर्मनी में चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात प्रस्तावित नहीं थी. बता दें कि चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जी-20 देशों की होने वाली बैठक में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात नहीं होगी.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात पहले से तय नहीं थी. किसी भी पक्ष ने द्विपक्षीय बैठक के लिए अनुरोध नहीं किया था इसलिए बातचीत रद्द होने का सवाल ही नहीं है. सूत्रों ने बताया कि चीन के विदेश मंत्रालय ने जो बयान जारी किया है वह गलत है. किसी भी पक्ष ने बातचीत की पहल नहीं की थी.
चीन के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक बातचीत के लिए माहौल अनुकूल नहीं है. चीन के अडियल रुख को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत भी द्विपक्षीय बातचीत की कोई पहल नहीं करेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि जर्मनी के हेमबर्ग में होने वाली जी-20 देशों की बैठक में पीएम मोदी और शी जिनपिंग एक दूसरे को नजरअंदाज करेंगे.
इजरायल के बाद प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को जर्मनी के हैम्बर्ग में होने वाली G-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 6 से 8 जुलाई के बीच होंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि ब्रिक्स नेताओं की मीटिंग में पीएम मोदी हिस्सा लेंगे. इसके अलावा द्विपक्षीय बैठकों के मुद्दे पर प्रवक्ता ने कहा कि जापान, मेक्सिको, अर्जेंटीना, कनाडा, इटली, यूके, कोरिया और विएतनाम के साथ पहले से इसकी योजना बन चुकी है.
दरअसल, सिक्किम की सीमा पर एक इलाका है, जहां चीन, भारत और भूटान की सीमा मिलती है और इसी इलाके में चीन को भारत ने सड़क बनाने से रोका है. इसके बाद चीनी सेना ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए. इस घटना के बाद से तनाव बढ़ता गया. भूटान ने भारत की मदद से चीन के सामने अपनी चिंता ज़ाहिर की क्योंकि चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं है.
वहीं, चीन की सड़क भारत के लिए भी चिंता का सबब है. सड़क बन जाने के बाद चीन पूर्वोत्तर के सात राज्यों को भारत से जोड़ने वाले सिलिगुड़ी के गलियारे पर सीधी नज़र रख सकता है. कुछ दिन पहले चीन ने सीमा पर हल्के टैंकों के साथ एक्सरसाइज की थी और फिर उन्हें वहीं तैनात भी कर दिया था. बॉर्डर पर तनातनी दोनों तरफ से बढ़ती जा रही है.