पटना: पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शराबबंदी के बाद संपत्ति जब्त करने की सरकारी नीति को झटका दिया है. हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि तीन बोतल शराब पकड़े जाने पर पांच-दस करोड़ के होटल को जब्त करना कैसा न्याय है.
हाईकोर्ट ने पूछा कि तीन लीटर शराब पकड़े जाने पर पांच-दस करोड़ की संपत्ति जब्त करना कहां तक उचित है. क्या ये फैसला मनमाना या फिर गैरवाजिब नहीं लगता.
कोर्ट ने ये टिप्पणी बिहार के मुजफ्फरपुर के चंद्रलोक कंटीनेंटल होटल में ढाई लीटर शराब की बरामदगी के बाद होटल को जब्त कर सराकारी संपत्ति घोषित कर दिया था. इस फैसले के विरुद्ध दायर रिट याचिका पर यह सुनवाई हुई थी. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और अनिल कुमार उपाध्याय की खण्डपीठ ने राकेश कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के निर्देश दिया था.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि होटल में पुलिस ने छापेमारी के दौरान तीन शराब की बोतलें बरामद की थी, जिसकी मात्रा 2.2 लीटर थी. इसके बाद नई शराब नीति के तहत जिला प्रशासन ने होटल को जब्त कर लिया था. वहीं राज्य सरकार द्वार 16 मई 2016 को होटल के भवन को सरकारी संपत्ति घोषित कर दी.
इस फैसले के विरुद्ध याचिकाकर्ता राकेश ने पटना हाईकोर्ट ने न्याय की गुहार लगाई. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए साफ किया कि राज्य सरकार का फैसला मनमाना और गैरवाजिब है. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि दो सप्ताह के अंदर स्थिती साफ करते हुए जवाब दें और तब तक तत्काल होटल मैनेजमेंट के कब्जा में हस्तक्षेप न करें