नई दिल्ली: लोग अक्सर अपना फ्लैट किराए पर देने से डरते है कि कहीं उनका फ्लैट कोई कब्जा ना कर ले. उनका ये डर वाजिब भी है क्योंकि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां किराएदार फ्लैट पर कब्जा कर लेता है और उसे खाली ही नहीं करता है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि इस डर से आप अपना फ्लैट किराए पर ही ना दें. अगर आप सही तरीके से और पूरे कागजों के साथ अपना फ्लैट किराए पर देते हैं तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी. दरअसल ज्यादातर लोग किराएदार को फ्लैट देने से पहले लीज एग्रीमेंट बनवाते हैं लेकिन ये सही प्रक्रिया नहीं है. आपको लीज नहीं बल्कि लाइसेंस एग्रीमेंट बनाना चाहिए.
लीज और लाइसेंस एग्रीमेंट में क्या फर्क है?
लीव और लाइसेंस एग्रीमेंट में मकान मालिक को अधिकार होता है कि वो घर में घुसकर अपनी संपत्ति का इस्तेमाल कर सके जबकि लीज एग्रीमेंट में निश्चित समय तक मकान मालिक अपने घर में बिना किराएदार की इजाजत के नहीं जा सकता. यानी उतने समय तक के लिए वो किराएदार को मकान में पूरा अधिकार देता है.
एग्रीमेंट को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए लाइसेंस में मकानमालिक या किराएदार लिखने की बजाय लाइसेंसर और लाइसेंसी शब्द का इस्तेमाल करें इससे पता ही नहीं चलेगा कि कौन किराएदार है और कौन मकान मालिक.
रेंट एग्रीमेंट की तरह लीव और लाइसेंस एग्रीमेंट में किराएदार को किसी भी तरह का फेवर ना दें. एग्रीमेंट में ये लाइन खास तौर पर शामिल कर लें कि लाइसेंसी के पास घर की चाभियां होंगी.
एग्रीमेंट में ये बात भी साफ तौर पर शामिल कर लें कि अगर प्रॉपर्टी बेची जाती है या फिर उसकी ऑनरशिप बदलती है तो ये एग्रीमेंट खत्म हो जाएगी. साथ ही ये बात भी शामिल कर लें कि दोनों ही पार्टियां फ्लैट खाली करने से पहले नोटिस देगी और नोटिस पीरियड को पूरा करेगी. अगर आपने रेंट लाइसेंस बनवाया है तो आप किराएदार को कोर्ट ले जा सकते हैं.