लखनऊ: अखिलेश सरकार में मुलायम की छोटी बहूरानी अपर्णा पर मेहरबानी का बड़ा खुलासा हुआ है. पांच साल के दौरान गौसेवा फंड की कुल रकम का 86 फीसदी से ज्यादा पैसा अकेले अपर्णा के NGO को दिया गया.
खुलासे के बाद अपर्णा के साथ-साथ इनके जेठ यानी अखिलेश यादव सवालों में घिर गए हैं. दरअसल, यूपी में जब तक जेठ अखिलेश की सरकार रही थी. गो सेवा का काम करने वाले अपर्णा के NGO को खुले हाथ से सरकारी फंड दिया गया.
यूपी सरकार की ओर से गोशाला और गोरक्षा संगठनों को दिए जाने वाले कुल अनुदान का 86.4 फीसदी हिस्सा अपर्णा की संस्था जीव आश्रय को दिया गया. साल 2012 से 2017 तक गो सेवा आयोग ने कुल 9.66 करोड़ फंड दिया.
इसमें से अकेले जीव आश्रय को 8.35 करोड़ रुपए मिले और हैरानी की बात ये है कि 2012 से 2015 तक आयोग की तरफ से सिर्फ अकेले इसी संस्था को फंड दिया गया. ये जानकारी गोसेवा आयोग के पीआईओ संजय यादव की ओर से दिए गए एक आरटीआई के जवाब से सामने आई. इसे भाई-भतीजावाद की एक बड़ी मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है.
दरअसल अपर्णा की जीव आश्रय संस्था कान्हा उपवन गोशाला को चलाती है. कान्हा उपवन लखनऊ नगर निगम की संपत्ति है लेकिन अखिलेश सरकार ने इसे तीन साल की लीज पर अपर्णा यादव के एनजीओ जीव आश्रय को दिया. बाद में लीज पांच साल के लिए बढ़ा दी गई. इस दौरान अपर्णा की संस्था को खुले हाथ से सरकारी पैसा मिलता रहा.
जब RTI एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने आरटीआई के जरिए गोसेवा आयोग से जानकारी मांगी तो अपर्णा यादव पर जेठ अखिलेश की मेहरबानी का खुलासा हुआ. अब अपर्णा बेहतर काम का हवाला दे रही है लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि उनकी संस्था को योगी सरकार ने इस साल एक रुपया भी नहीं दिया है.
अगर उनका काम इतना अच्छा था तो पैसा क्यों नहीं मिला? जबकि अपर्णा और प्रतीक ने सीएम योगी के शपथग्रहण के बाद उनसे मुलाकात की थी. यही नहीं उनके बुलाने पर सीएम योगी ने कान्हा उपवन गोशाला का दौरा भी किया था.