पटना. बिहार में चुनाव के दिन अब करीब आते जा रहे हैं वैसे ही बिहार की सियासी तस्वीर बड़ी तेजी से करवट बदल रही है. राज्य में जाति का कार्ड एक बार फिर से खेला गया है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी जाति का कार्ड खेलते हुए कहा कि देश का पहला ओबीसी […]
पटना. बिहार में चुनाव के दिन अब करीब आते जा रहे हैं वैसे ही बिहार की सियासी तस्वीर बड़ी तेजी से करवट बदल रही है. राज्य में जाति का कार्ड एक बार फिर से खेला गया है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी जाति का कार्ड खेलते हुए कहा कि देश का पहला ओबीसी पीएम भारत को बीजेपी ने दिया.
दरअसल बीजेपी का बिहार में जो परंपरागत वोट बैंक है उसमें ब्राहम्ण, राजपूत, भूमिहार, कायस्थ और वैश्य है. राज्य का बनिया तबका भी बीजेपी के साथ है. वहीं लालू के साथ राजपूतों का एक तबका साथ देता रहा है.
नीतीश के साथ भूमिहारों का एक तबका साथ है. बीजेपी ने भूमिहारों को अपने साथ करने के लिए गिरिराज को कैबिनेट में जगह दी वहीं राजपूतों को साथ पाने के लिए राधा मोहन को केंद्रीय मंत्री बनाया.
हाल ही में बिहार में किए गए चौरसिया सम्मेलन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिरकत की वहीं प्रजापित सम्मेलन में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शिरकत की. लालू ने केंद्र सरकार से जातीय जनगणना के आंकड़ों को शीघ्र प्रकाशित करने की मांग की है.
मुस्लिम, यादव समीकरणों के बीच बिहार चुनाव अब हर रोज नई-नई तस्वीर बना रहा है. बिहार में जातिवाद के ढांचे की अर्ध-सत्य में उस तस्वीर को देखिए जो सामने होकर भी दिखाई नहीं देती है.