मुंबई: कांग्रेस पार्टी वोट के लिए अब साधु-संतों की शरण में पहुंच गई हैं, इसका मकसद पार्टी की अल्पसंख्यक समर्थक की छवि से छुटकारा पाना है. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने एक आयोजन किया और बाकायदा संतों-महंतों के पैर भी धोए.
निरूपम ने कांग्रेस पार्टी के अंदर संत-महंत सेल का गठन किया है और मुंबई में इस सेल की एक सभा आयोजित की जहां उन्होंने साधु-संतों का स्वागत किया. निरूपम ने जिन संतों को जोड़ा है उनमें से कई राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं. इस पर सवाल पूछे जाने पर निरूपम ने कहा कि हम भी राम मंदिर बनाए जाने के पक्ष में हैं.
निरूपम ने कहा कि धर्म लोगों की निजी आस्था का मामला है. इसे सार्वजनिक जीवन में लाने की कोई जरूरत नहीं है. मैंने इस मसले पर पार्टी के महासचिव मोहन प्रकाश से बात की है. अभी तक सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ और बीजेपी ही इस समुदाय से बातचीत करती आ रही है. हमें लोगों को यह बताना होगा कि कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी नहीं है.
संत-महंत सेल बनाने पर पार्टी के अंदर ही निरूपम का विरोध हो रहा है. कांग्रेस नेता नसीम खान ने इसे गलत कदम बताते हुए आलाकमान से शिकायत करने की बात कही. वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय के बनाए प्रकोष्ठ बनाए जाने पर खुल कर बोलने से बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सबसे बड़े नेता महात्मा गांधी अपनी प्रार्थना सभाओं में ‘रघुपति राघव राजाराम’ गाया करते थे और हमेशा राम राज्य की बात करते थे.
पार्टी प्रभारी मोहन प्रकाश का कहना है कि हाईकमान ने इस तरह के कोई भी प्रकोष्ठ बनाने के लिए फैसला नहीं लिया है. हालांकि साधु-संतों की समस्याओं के समाधान के लिए उनकी बैठक बुलाने की जानकारी हम सबको दे दी थी. प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दरअसल शिवसेना से आए निरूपम वहां की विचारधारा कांग्रेस पर थोपना चाहते हैं.