नई दिल्ली: एक देश एक टैक्स. आजादी के बाद देश में सबसे बड़े टैक्स सुधार का जश्न मनाने के लिए सरकार की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. आज आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल से राष्ट्रपति की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी पूरे धूमधाम से एलान करेंगे कि देश में जीएसटी लागू हो गया है. सिर्फ 4 घंटे का वक्त बचा है, लेकिन विपक्ष और व्यापारी संगठन अब भी जीएसटी का विरोध कर रहे हैं.
एक देश, एक टैक्स का सपना आज से 17 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने देखा था. 2006 में यूपीए-वन के वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने बजट भाषण में जीएसटी लागू करने का ज़िक्र पहली बार किया. अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के रूप में विख्यात रहे मनमोहन सिंह चाहते थे कि जीएसटी उनके कार्यकाल में लागू हो जाए.
उन्होंने अप्रैल 2010 की डेडलाइन भी तय की थी, लेकिन जीएसटी लागू करने में नाकाम रहे. अब तमाम अड़चनों के बाद जीएसटी लागू होने जा रहा है, तो कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दल और व्यापारी संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं.
जीएसटी के खिलाफ आज देश के तमाम शहरों में व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं. किराना से लेकर कपड़ा कारोबारी तक जीएसटी से नाराज़ हैं. किसी की नाराज़गी जीएसटी की दरों को लेकर है, तो ज्यादातर इस बात से खफा हैं कि सरकार जीएसटी के नियम-कायदों का प्रचार किए बिना इतनी जल्दबाज़ी में इसे क्यों लागू कर रही है.
कभी यूपी की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले कानपुर में तो व्यापारियों ने झांसी एक्सप्रेस ट्रेन भी रोक ली. व्यापारियों का आरोप है कि जीएसटी में सरकार ने सब कुछ कंप्यूटर से जोड़ दिया और एक बार भी नहीं सोचा कि छोटे दुकानदारों और कारोबारियों का क्या होगा, जिनका आज तक कंप्यूटर से कभी वास्ता नहीं रहा.
व्यापारियों की नाराज़गी व्यावहारिक दिक्कतों को लेकर है, लेकिन विपक्षी दलों की नाराजगी समझ से परे है. जीएसटी काउंसिल में सभी राज्य सरकारों की रज़ामंदी से टैक्स की दरें तय की गईं. संसद में जब ये जीएसटी बिल पास हुआ, तो वहां भी कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों ने अपने सुझाव दिए और संशोधन भी कराए. लेकिन, अब जब सरकार संसद के सेंट्रल हॉल में जश्न मनाकर जीएसटी लागू करने जा रही है, तब कांग्रेस, टीएमसी, लेफ्ट फ्रंट और आरजेडी जैसी पार्टियों ने बायकॉट का एलान कर दिया है.
विपक्षी दलों को जीएसटी का जश्न फिजूल का तमाशा नजर आ रहा है. जीएसटी लागू करने में कांग्रेस की अपनी डेडलाइन से भी 7 साल की देरी हो चुकी है, फिर भी विपक्ष का आरोप है कि सरकार जीएसटी लागू करने में जल्दबाज़ी करके ऐतिहासिक भूल कर रही है.
जीएसटी से आखिर विपक्षी दलों और व्यापारियों की नाराज़गी क्यों है ? जीएसटी लागू कराने के लिए अपनी सरकार में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाने वाली कांग्रेस को जीएसटी से दिक्कत है या प्रधानमंत्री मोदी से , आज इसी मुद्दे पर होगी महाबहस.
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