नई दिल्ली: चीन ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर उसने अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाया तो इससे सीमा पर मौजूदा तनाव और बढ़ेगा. इसे कहते है चोरी और सीनाजोरी. अगर भारत तनाव बढा रहे है तो फिर तिब्बत में भारतीय सीमा के पास चीन के टैंक क्या कर रहे है. घुसपैठ अगर भारत कर रहे है तो सेटेलाइट से ली गई अतिक्रमण की तस्वीरे क्या झूठी है.
तिब्बत के पास भारतीय बार्डर के पास चीन ने अपने टैंक उतार दिए हैं. ये 35 टन टैंक है. जिन्हे तिब्बत में भारतीय बार्डर के पास चीन ने उतारा है हालांकि चीन कह रहा है उसने टैंक के पैरामीटर को चेक करने के लिए टैंक उतारे है और ये एक्सरसाइज किसी देश के खिलाफ नहीं है लेकिन चीन पीठ में छुरा घोपने में माहिर है. लिहाजा उसकी बातों पर यकीन नहीं किया जा सकता.
सीमा को लेकर चीन और भारत 1962 में आमने सामने आए थे. साइनो इंडियन वार के नाम से मशहूर इस युद्द की भूमिका 1959 में बनी. चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत-चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की दौर शुरु हो गया. भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर द्वारा घोषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के पूर्वी भाग के उत्तर में थी.
चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू कर दिए. हालांकि चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर बीस साबित हुई और चीन ने पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला और पूर्व में तवांग पर कब्ज़ा कर लिया और 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम हो गया. विवादित क्षेत्र से अपनी वापसी की घोषणा के साथ युद्ध खत्म हो गया.
तब से लेकर अब तक चीन और भारत के बीच कभी आमने सामने की लड़ाई नहीं हुई. हां सीमा को लेकर सैनिकों के बीच गुत्थमगुत्थी होती रही है. ताजा विवाद सिक्किम क्षेत्र में भारतीय सीमा के अंदर चीनी सैनिकों के घुसने के बाद शुरु हुआ. मौके पर भारत और चीन, दोनों के ही करीब एक-एक हजार सैनिक बीते दस दिनों से आमने-सामने हैं.
बताया जा रहा है कि इस तनाव के पीछे डोका ला का एक पुराना बंकर है, जिसे चीनी सैनिकों ने तोड़ दिया है. डोका ला भारत, चीन और भूटान का ट्राई जंक्शन है. यहां पर भारतीय सेना और चीन की पीएलए के बीच हाथापाई हुई. साथ ही चीन ने भारत को चेतावनी देते हुए कह दिया कि वो अपनी सेना को पीछे हटने को कहे. वरना भारत को बुरे परिणामों का सामना करना पड़ेगा.
इसके अलावा चीन ने नाथुला दर्दे से मानसरोवर यात्रा पर गए शिवभक्तों को बीच रास्ते में रोक दिया. सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना के जवान विवादित इलाके में सड़क निर्माण के भारी-भरकम साजोसामान के साथ मौजूद है. इससे पहले, बीते 20 जून को दोनों देशों के कमांडरों के बीच हुई फ्लैग मीटिंग भी असफल रही और कोई निष्कर्ष नहीं निकला. आज खुद सेना प्रमुख विपिन रावत सिक्किम पंहुचे हैं.
दरअसल साउथ एशिया में चीन ने अपनी बादशाहत पर खतरा महसूस कर लिया है. चीन को ये समझ आ गया कि भविष्य में भारत इस पूरे इलाके में उसको तगड़ी चुनौती देने वाला है. हाल ही में अमेरिका और भारत की बढती नजदीकी ने भी चीन को परेशान कर रखा है.
चीन की मंशा को अब भारत समझ चुका है. रोड नेटवर्क के नाम पर चीन ने भारत को घेरने का पूरा प्लान बना रखा है. आप हैरान हो जाएंगे उन सैटेलाइट तस्वीरों को देखकर जिसमें चीन ने जमीन पर जोर जबरदस्ती अपना जाल फैला रखा है.
दरअसल चीन चाहता है कि भारत पाकिस्तान की तरह उसके सामने घुटनों के बल खड़ा हो जाए. जैसे पाकिस्तान ने गिलगिट बाल्टिस्तान में इकॉनॉनिक कॉरिडोर के लिए चीन को अपनी जमीन बेच दी. वैसे ही भारत भी बिना विरोध किए चीन को अपनी सीमा में घुसपैठ करने दे. ये भारत होने नहीं देगा इसीलिए बार्डर पर तस्वीरे बदल गई है. पाकिस्तान से चीन गले मिल रहा है और भारत का गला दबाने की कोशिस कर रहा है.
हिन्दी चीनी भाई-भाई कल की बात हो गई, आज का नया नारा पाक चीन भाई-भाई है. पीओके को प्रशासनिक तौर पर पाकिस्तान ने 2 हिस्सो में बांटा है पहला पाक अधिकृत कश्मीर और दूसरा गिलगिट बाल्टिस्तान. इसी गिलगिट बाल्टिस्तान में चीन इकॉनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है. जिसे CPEC यानि चाइना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर नाम दिया गया है.
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