नई दिल्ली: दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र यानि भारत के प्रधानमंत्री मोदी और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात में कुछ ही घंटों का वक्त बचा है. इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर है. नजर इसीलिए क्योकि इस मुलाकात के बाद कयास ये लगाए जा रहे है कि भारत साउथ एथिया में एक नए लीडर के तौर पर उभर सकता है.
एक तरफ दुनिया का पुराना लोकतंत्र अमेरिका, दूसरी तरफ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत. एक तरफ दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क, दूसरी तरफ सबसे तेजी से उभरती महाशक्ति भारत. दोनों ताकतवर नेताओं के बीच एतिहासिक मुलाकात होने जा रही है.
अमेरिका में नेतृत्व परिवर्तन को महज छह महीने का वक्त गुजरा है और प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के किसी भी देश के पहले राषट्राध्यक्ष बनने जा रहे है जो दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में डिनर करने वाले है. मोदी इस दौरान पांच घंटे तक व्हाइट हाउस में रहेगे.
जिस तरह से नरेन्द्र मोदी से मुलाकात से पहले अप्रैल में ट्रंप चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले. उससे साफ था कि साउथ चाइना सी पर जिस तरह से चीन अपनी दादागिरी दिखाई उस पर अमेरिका की पैनी नजर है. दरअसल साउथ चाइना सी दक्षिण पूर्वी एशियन देश चीन, ताइवान, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से घिरा समंदरी इलाका है.
ये सारे देश इस पूरे इलाके पर अपना-अपना दावा करते रहे हैं. इस इलाके पर दावे की बड़ी वजह है यहां तेल और गैस के बड़े-बड़े भंडार दबे हुए हैं. हालांकि अमेरिका साउथ चाइना सी पर कोई दावा तो नहीं करता है लेकिन उसके व्यापार का एक बड़ा हिस्सा यहीं से होकर गुजरता है. जिसकी वजह से अमेरिका और चीन में तनातनी बनी हुई है.
जाहिर दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका चीन की इस दादागिरी को बर्दाश्त नहीं करेगा. अब जब चूकि ट्रंप की भारत के प्रधानमंत्री से मुलाकात हो रही है तो जाहिर है. इंडो पैसिफिक यानि हिंद प्रशांत इलाके पर भी चर्चा होगी. जाहिर है इसमें चीन पर नकेल कसने के लिए अमेरिका और भारत के बीच कोई ना कोई ऐसी डील या समझौता होगा जो चीन के लिए आने वाले वक्त में मुश्किलें खड़ा करेगा.
साउथ चाइना में दखल से अमेरिका का सीधा कनेक्शन है लेकिन अमेरिका ये भी देख रहा है कि कैसे चीन..पाकिस्तान को गूलाम बनाने की दिशा में आगे बढ रहा है और कैसे पाकिस्तान अमेरिका को नजरअंदाज कर चीन की हां हा में मिला रहा है. आतंक के खिलाफ अमेरिका का रुख सख्त है. यही वजह है कि जब भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को सबक सिखाया तो अमेरिका बीच में नहीं आया. उल्टे उसने पाकिस्तान को हद में रहने की नसीहत दी और अब दो कदम आगे बढते हुए. पाकिस्तान की फंडिग में अमेरिका ने भारी कटौती तक कर दी है.
उरी में हुए आतंकी हमले में जवानों की शहादत का बदला भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक से लिया.दो घंटे के बेहद खूफिया ऑपरेशन में भारतीय सेना के कमांडोज ने रात आतंकियों के 7 लांचिंग पेड को निशाना बनाया और 38 आतकियों को ढेर कर दिया. इस हमले के बाद पाकिस्तान ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को घेरने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान को किसी का साथ नहीं मिला.
अमेरिका ने तो उल्टे पाकिस्तान को ही नसीहत दी. जबकि अमेरिका को मालूम था कि भारत पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाला है. दरअसल आतंकवाद को लेकर अमेरिका का ट्रंप प्रशासन पूरी दुनिया को ये संदेश साफ तौर पर दे देना चाहता है कि वो किसी भी सूरते हाल में इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.
(वीडियो में देखें पूरा शो)