श्रीनगर: बीते गुरुवार को जम्मू कश्मीर के पुंछ में भारतीय जवानों पर हमला करने वाले पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) कमांडो हथियारों के अलावा खास तरह के खंजर और हेडबैंड कैमरे से लैस थे. ये बैट कमांडो भारतीय जवानों को मारने के बाद उनके शव के साथ की जाने वाली बर्बरता की वीडियो रिकॉर्डिंग करने के इरादे से हेडबैंड कैमरा लेकर आए थे.
हमले के बाद चलाए गए सर्च ऑपरेशन में भारतीय सेना ने BAT कमाडों का शव बरामद किया. जिसके पास से मिले सामान से पाकिस्तानी बैट की साजिश का खुलासा हुआ. बैट का एलओसी पर इस साल तीसरा हमला था. इस हमले में भारतीय सेना के 2 जवान शहीद हो गए थे. जबकि एक बैट कमांडो को सेना ने मार गिराया था.
पुंछ जिले में पाकिस्तान की बैट टीम भारतीय सीमा में 600 मीटर अंदर तक घुस आई जिसमें दो जवान शहीद हो गए जबकि एक घुसपैंठियें को जवानों ने मार गिराया. बता दें कि बैट में पाकिस्तान की फौज के साथ आतंकी भी शामिल रहते हैं.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैट के प्रयास को नाकामयाब करने की कवायद में मारे गए घुसपैठिए का शव स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया है. उन्होंने कहा कि इसके साथ गोला बारूद, हथियार और अन्य युद्ध संबंधी सामान जैसे विशेष खंजर, कैमरा लगा एक हेडबैंड, चाकू, एक एके राइफल, तीन मैगजीन, दो ग्रेनेड के अलावा कुछ कपड़े और थैले वहां से बरामद किए गए हैं जो पाकिस्तानी सेना की बर्बर मानसिकता को दर्शाते हैं.
बता दें कि इससे पहले बीएसएफ के हेड कॉन्स्टेबल प्रेम सागर और सेना के नायब सूबेदार परमजीत सिंह इन्हीं के हमले में शहीद हो गए थे. इसी बैट टीम ने साल 2013 में शहीद हेमराज का सिर काट दिय था. बताया जाता है कि इन्हें क्रूरता की बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है.
क्या है BAT टीम ?
बैट को इतनी क्रूर ट्रेनिंग दी जाती है कि वो मानवता की किसी भी हद को पार कर सकती है. बताया जाता है कि इन्हें ट्रेनिंग के दौरान मुर्गे की गर्दन दांत से काटनी होती है और खून पीना होता है. बैट में ज्यादातर आतंकवादी होते हैं ताकि वो पकड़े भी जाएं तो पाकिस्तान उसे अपना मानने से इनकार कर सके.
बैट भारत के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन में सैटेलाइट फोन, डिजिटल नेविगेशन सिस्टम, शोर्टगन और स्पोर्ट जीपीएस का इस्तेमाल करती है. हथियार में ये ज्यादातर ए के-47 अपने पास रखते हैं. इसी तरह की ट्रेनिंग अमेरिका में सील कमांडो को दी जाती है जिन्हें दुनिया के सबसे खतरनाक कमांडो माना जाता है. इन्हें एलओसी में 1 से 3 किलोमीटर तक अंदर घुसकर हमला करने के लिए तैयार किया गया है.