नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने दिल्ली में सत्तारुढ आम आदमी पार्टी को बड़ी झटका दिया है. आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी की दलीलें खारिज कर दी हैं. दिल्ली हाई कोर्ट पहले ही विधायकों की विवादित पद पर नियुक्ति को अवैध ठहरा चुका है.
पूरा मामला 13 मार्च, 2015 का है जब आम आदमी पार्टी ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. 19 जून 2015 को प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने राष्ट्रपति के पास ‘आप’ के इन 21 संसदीय सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन दिया.
चुनाव आयोग ने कहा कि विधायकों पर केस चलता रहेगा. आप विधायकों ने याचिका दी थी कि जब दिल्ली हाई कोर्ट में संसदीय सचिव की नियुक्ति ही रद्द हो गई है तो ऐसे में ये केस चुनाव आयोग में चलने का कोई मतलब नहीं बनता. 8 सितंबर 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कर दी थी.
बता दें कि राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई. शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. इससे पहले मई 2015 में इलेक्शन कमीशन के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी.