23 हफ्ते के गर्भ को गिराने के लिए SC ने मांगी पश्चिम बंगाल से मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल की एक महिला की ओर से 23 हफ्ते के अपने गर्भ को गिराने की इजाजत मांगने की गुहार वाली याचिका दायर की गई है. जिस पर सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने इस बाबत 7 डॉक्टरों की एक टीम का गठन किया है जो ये देखेगी कि क्या महिला का गर्भपात किया जा सकता है या नहीं.

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23 हफ्ते के गर्भ को गिराने के लिए SC ने मांगी पश्चिम बंगाल से मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट

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  • June 23, 2017 8:41 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल की एक महिला की ओर से 23 हफ्ते के अपने गर्भ को गिराने की इजाजत मांगने की गुहार वाली याचिका दायर की गई है. जिस पर सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने इस बाबत 7 डॉक्टरों की एक टीम का गठन किया है जो ये देखेगी कि क्या महिला का गर्भपात किया जा सकता है या नहीं. 
 
33 वर्षीय यह महिला कोलकाता की रहने वाली है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को 29 जून तक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाए. वहीं इस मामले पर अगली सुनवाई कोर्ट 29 जून को करेगा. 
 
पिछली सुनवाई में महिला की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा था कि महिला के पेट में पल रहे बच्चे के हृदय में गड़बड़ी है. महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि कानूनन 20 हफ्ते से अधिक के गर्भ को गिराने की इजाजत नहीं है, ऐसे में वह मानसिक रूप से बेहद परेशान है. 
 
याचिका में कहा गया है कि भारत में हर वर्ष 2.6 करोड़ बच्चे जन्म लेते हैं लेकिन इनमें से दो-तीन फीसदी भ्रूण में कई तरह की खामियां होती हैं. याचिका में कहा गया है कि सोनोग्राफी की तकनीक से तो कई खामियां 20 हफ्ते के पहले पता चल जाती हैं लेकिन कई ऐसी खामियां होती हैं जिनका पता 20 हफ्ते के बाद ही लग पाता है.
 
दरअसल मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 के प्रावधान के मुताबिक, गर्भधारण के 20 हफ्ते के बाद गर्भपात की इजाजत नहीं दी जा सकती, लेकिन अधिनियम की धारा-पांच में यह प्रावधान है कि अगर गर्भ के कारण महिला की जान को खतरा हो तो 20 हफ्ते के बाद महिला को गर्भपात कराने की इजाजत दी जा सकती है.

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