नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मुकाबला अब बेहद दिलचस्प हो गया है. सोनिया गांधी की अगुवाई में आज 17 दलों की बैठक हुई. इसी बैठक के बाद सोनिया गांधी और गुलाम नवी आजाद ने मीरा कुमार के नाम की घोषणा UPA की तरफ से राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर की.
जिसके बाद अब ये सवाल उठते हैं कि क्या सोनिया गांधी ने आखिरी समय में मोदी का गेम खराब कर दिया ? क्या मीरा कुमार की उम्मीदवारी के बाद NDA के रामनाथ कोविंद की जीत की राह राष्ट्रपति के लिए आसान नहीं रह गई. लेकिन सवाल इतना भर नहीं है. विपक्ष ने खास वजह से मीरा कुमार को आखिरी वक्त पर उम्मीदवार बनाया और ऐसे में ये लड़ाई राष्ट्रपति के लिए कम बल्कि 2019 के लिए ज्यादा हो गई है.
17 पार्टी
सोनिया गांधी के साथ मीटिंग में शरद पवार, लालू यादव, हेमंत सोरेन, सीताराम येचुरी जैसे बड़े नेताओं ने शिरकत की तो वहीं बीएसपी, नेशनल कांफ्रेस, समाजवादी पार्टी, एआईयूडीएफ, डीएमके जैसी पार्टियां भी इस मीटिंग में शामिल हुई. मीटिंग में कुल मिलाकर 17 पार्टी एकजुट हुई है और मोदी सरकार के तीन साल के दौरान पहली बार किसी मुद्दे पर विपक्ष इस तरह एकजुट हुआ है.
कौन होगा राष्ट्रपति
लेकिन सवाल ये है कि क्या ये एकजुटता NDA यानी मोदी के सामने कोई बड़ी चुनौती पेश करने वाला है ? क्या नीतीश का मन बदल जाएगा ? नवीन पटनायक पाला बदल लेगें ? केसीआए दोबारा सोचेंगे ? AIADMK पर सोनिया की अपील का असर होगा ? क्या चुनाव में खुलकर क्रॉस वोटिंग होगी ? कई सवाल हैं. जिसमें सबसे बड़ा सवाल है कि अब कौन होगा राष्ट्रपति?
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