नई दिल्ली: दलित राजनीति के इतिहास में देश एक नए मोड़ पर जा पहुंचा है जब राष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए और विपक्ष के उम्मीदवार दलित बिरादरी से होंगे. बीजेपी के रामनाथ कोविंद का मुकाबला कांग्रेस की मीरा कुमार से होगा.
संसद परिसर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में 17 विपक्षी दलों की बैठक हुई जिसमें एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ मीरा कुमार को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया गया. कोविंद को समर्थन कर चुका जेडीयू बैठक में शामिल नहीं हुआ.
मीरा कुमार के नाम के ऐलान के बाद मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने भी मीरा के समर्थन का ऐलान कर दिया है. मीरा की उम्मीदवारी से कांग्रेस ने नीतीश कुमार को राजनीतिक धर्मसंकट में डाल दिया है जिन्होंने कोविंद को समर्थन का ऐलान किया था. मीरा बिहार से आती हैं और पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं.
एनडीए कैंडिडेट रामनाथ कोविंद 23 जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करेंगे जबकि विपक्षी कैंडिडेट मीरा कुमार 27 जून को नॉमिनेशन करेंगी.
मीरा कुमार यूपीए-2 के कार्यकाल में लोकसभा स्पीकर रही हैं. मीरा को 3 जून, 2009 को सर्वसम्मति से 15वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया था. मीरा आठवीं, ग्यारहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा की सदस्य रहीं हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत वैसे पक्की मानी जा रही है. मंगलवार को शिवसेना के समर्थन के बाद बुधवार को जेडीयू ने भी कोविंद को समर्थन दे दिया था. जेडीयू का साथ मिलने के बाद कोविंद की राह और आसान हो गई है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को ऐलान किया था कि एनडीए की तरफ से रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. रामनाथ कोविंद कानपुर के रहने वाले हैं और वो घोषणा के वक्त बिहार के राज्यपाल थे.